एक जिज्ञासु व्यक्ति की मुलाकात एक ज्ञानी व्यक्ति से हुई। उसने ज्ञानी से पूछा,जब सभी इंसानों की बनावट एक जैसी है तो फिर उसमें से कुछ लोग पतन के गर्त में गिर कर क्यों डूब जाते हैं?
ज्ञानी ने जिज्ञासु व्यक्ति को दूसरे दिन तालाब के किनारे आने के लिए कहा। तय किए गए समय पर दोनों तालाब पहुंचे। ज्ञानी के पास तो कमंडल थे।उनमें से एक कमंडल बिल्कुल ठीक था और दूसरा के ताले में छेद था।
उसने दोनों कमंडलो को उस जिज्ञासु व्यक्ति को दिखाया। ज्ञानी व्यक्ति ने तले वाले कमंडल को पानी में फेंक दिया। वह तैरता रहा। इसके बाद उसने बिना तले वाले कमंडल को पानी में फेंक दिया। देखते ही देखते उसमें पानी भर गया और वह डूब गया।
ज्ञानी ने जिज्ञासु से प्रश्न किया कि क्या तुम बता सकते हो कि दोनों कमंडलों की भिन्न-भिन्न परिणति का क्या कारण है ? जिज्ञासु ने सहज भाव से उत्तर दिया कि उसके तले में छेद था, वह डूब गया और जिसका तल मजबूत था, वह तैरता रहा।
ज्ञानी ने कहा कि ठीक इसी तरह इंसानों में असंयम के दोष होते हैं। बाहर की दुष्पवृतियां आकर उन्हें डुबो देती है।कहने का आशय यह है कि अपने व्यक्तिगत दुर्गुणों से ही मनुष्य संसार की दुष्पवृतियां की चपेट में आकर, डूब जाता है। जिन लोगों में दोष या छिर्द नहीं होता, वे सदा तैरते रहते हैं और पर उतरते हैं