कियान के पिता एक बड़ी कंपनी में प्रेसिडेंट थे। अपने काम में वह इतना व्यस्त रहते थे कि घर के लिए कम ही समय निकाल पाते थे। पर कियान के लिए उन्होंने हर सुख-सुविधा का प्रबंध कर रखा था। कियान छठी में पढ़ता था। सबसे अच्छी कोचिंग क्लास की टीचर उसे पढ़ाने आती थी।
कियान को उनसे पढ़ते हुए तुम साल हो गए थे। फिर भी परीक्षा में उसके नंबर कम आते थे। 1 दिन ज्ञान के इतने टीचर से शिकायत करते हुए कहा, आपके पढ़ाने का फायदा ही क्या है, जब उसके अच्छे नंबर ही नहीं आए।
मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उसे कितने घंटे पढ़ती हैं या इतने पैसे चाहती है। मैं बस यही चाहता हूं कि उसके अच्छे नंबर आए। टीचर मुस्कुराते हुए बोली, तो फिर ठीक है, आप मुझे दस लाख रुपए प्रति घंटा वेतन दीजिए, उसके नंबर अच्छे खाने की जिम्मेदारी मेरी।
कियान के पिता यह सुनकर दंग रह गए। वह बोले, दस लाख रुपए प्रति घंटा। इतना तो मैं भी नहीं कमाता। टीचर बोली, तो आप ओवरटाइम करिए। अच्छे नंबरों के लिए कुछ तो आपको भी करना हो पड़ेगा न।
कियान के पिता बोले, मैं कितना भी कमा लूं, दस लाख प्रति घंटा फीस नहीं दे सकता। टीचर बोली, आपकी इतनी भी हैसियत नहीं कि आप इतनी मामूली फीस चुका पाए ?
कियान के पिता बोले, क्या मतलब है आपका ? मैं एक इज्जतदार व्यक्ति हूं। सिर्फ पैसे से कोई आदमी बड़ा नहीं बन जाता। टीचर बोली, ठीक उसी तरह से सर सिर्फ अच्छे नंबर से कोई बच्चा अच्छा नहीं बन जाता।
कियान बहुत होनहार लड़का है। फीसदी अधिक नंबर आए हैं। धीरे-धीरे हमारे ध्यान और प्यार से वह अपने हुनर को तराश है।