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Pandit aur navik (पंडित और नाविक)

गंगा नदी के किनारे एक भोला नाम का नाविक रहता था। वह यात्रियों को गंगा नदी के एक किनारे से दूसरे किनारे ले जाता और लाया करता था। एक दिन वह कुछ यात्रियों को अपनी नाव पर बैठा कर ले जा रहा था, जिसमें एक पंडित जी थे, जिन्हें अपने ज्ञानी होने का बड़ा घमंड था।


पंडित जी ने बोला से पूछा, क्या तुम भूगोल जानते हो नाविक ?
भोला ने उत्तर दिया, नहीं, भूगोल क्या है, इसका अंदाजा मुझे नहीं है श्रीमान। पंडित जी ने कहा फिर तो तुम्हारी पाव भर जिंदगी पानी में समझो।



फिर पंडित जी ने एक और प्रशन भोला से पूछा, क्या तुम इतिहास के बारे में कुछ बता सकते हो ? गांधी जी का जन्म कब और कहां हुआ ? भोला फिर से अपनी अज्ञानता बताते हुए बोला, जी इसके बारे में भी नहीं जानता ।


पंडित जी ने विजय मुद्रा में कहा, फिर तो तुम्हारी आधी जिंदगी पानी में गई समझो । पंडित जी ने अपने को ज्ञानी समझते हुए एक और प्रशन किया,


तुम फिर महाभारत के पांडव और कौरवों की बारे में जानते होंगे ? भोला शर्म के मारे अपना सिर हिलाते हुए बोला नहीं....

पंडित जी हंसते हुए बोले, फिर तो तुम्हारी पौना जिंदगी पानी में समझो। कुछ ही देर में गंगा मैं प्रभाव तीव्र होने लगा। नाविक ने सभी यात्रियों को तूफान की चेतावनी दी।




नाविक में पंडित जी से पूछा, श्रीमान क्या आप तैरना जानते हैं ? पंडित जी घबराते हुए बोले, नहीं । मैं तो तैरना नहीं जानता। नाविक पंडित जी से बोला "फिर तो आपकी पूरी जिंदगी पानी में गई।"कुछ देर में तूफान आया और नाव पलट गई और पंडित जी की मृत्यु हो गई।

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