सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल के पदों पर बंपर भर्तियां, 12वीं पास के लिए सुनहरा मौका


Delhi Police Head Constable Recruitment 2020: दिल्ली पुलिस में अनेक पदों पर भर्तियां होने जा रही हैं। आपको बता दें कि 649 हेड कांस्टेबल भर्ती 2020 अधिसूचना के अनुसार, ऑनलाइन पंजीकरण 27 जनवरी 2020 तक जारी रहेगा। इच्छुक उम्मीदवार ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। दिल्ली पुलिस 649 हेड कांस्टेबल 2020 रिक्तियों का आवेदन लिंक 28 दिसंबर 2019 को सक्रिय होगा। विज्ञापन लिंक के साथ-साथ उम्मीदवारों को आवेदन लिंक भी इस खबर में मिल जाएगा। नौकरी से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आगे की स्लाइड देखें।


जरूरी योग्यता-
दिल्ली पुलिस 649 हेड कांस्टेबल भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को विज्ञान और गणित विषय के साथ किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10 + 2 (सीनियर सेकेंडरी) पास होना जरूरी है। बता दें कि नेशनल ट्रेड सर्टिफिकेट (एनटीसी) रखने वाले उम्मीदवार भी आवेदन कर सकते हैं।


आयु सीमा-
अनारक्षित/ईडब्ल्यूएस श्रेणियों के लिए, उम्मीदवारों की 01 जुलाई को न्यूनतम 18 वर्ष की आयु होनी चाहिए। हालांकि, आरक्षित (ओबीसी, एसटी, एसटी, खिलाड़ी, विधवा और तलाकशुदा महिला, दिल्ली पुलिस, भूतपूर्व सैनिकों आदि) वर्गों के उम्मीदवारों के लिए आयु में छूट की घोषणा की गई है।


आवेदन शुल्क-
दिल्ली पुलिस 649 हेड कांस्टेबल रिक्तियों के लिए पंजीकरण करते समय, उम्मीदवारों को आवेदन शुल्क का भुगतान करना होगा। भुगतान ऑनलािन किया जाएगा। वैसे तो उम्मीदवार के लिए 100 रुपए शुल्क निश्चित है पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पूर्व सैनिकों और महिला श्रेणियों के उम्मीदवारों को शुल्क के भुगतान से छूट दी गई है।


चयन प्रक्रिया-
दिल्ली पुलिस 649 हेड कांस्टेबल भर्ती 2020 की चयन प्रक्रिया में कंप्यूटर आधारित परीक्षा, शारीरिक परीक्षण, ट्रेड टेस्ट और कंप्यूटर ऑपरेशंस में टेस्ट ऑफ प्रोफिसिएन्सी शामिल हैं।
कुल रिक्तियां - 649
हेड कांस्टेबल - पुरुष (ओपन) - 392 पद (विभागीय उम्मीदवारों के लिए 43 रिक्तियां)
हेड कांस्टेबल - महिला (ओपन) - 193 पद (विभागीय उम्मीदवारों के लिए 21 रिक्तियां)



आधिकारिक वेबसाइट के लिए यहां क्लिक करें।
ऑफिशियल नोटिफिकेशन पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के लिए यहां क्लिक करें। ( आवेदन 28 दिसंबर से शुरू)

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं. ...

आज के टॉप 4 शेर (friday feeling best 4 sher collection)

आज के टॉप 4 शेर ऐ हिंदूओ मुसलमां आपस में इन दिनों तुम नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ - लाल चन्द फ़लक मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा - अल्लामा इक़बाल उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे - जिगर मुरादाबादी हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी - अहमद फ़राज़ साहिर लुधियानवी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कैफ़ी आज़मी इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद बशीर बद्र दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों वसीम बरेलवी आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी मीर तक़ी मीर बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो - मीर तक़ी...

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे...