दुनिया में वही शख़्स है ताज़ीम के क़ाबिल
जिस शख़्स ने हालात का रुख़ मोड़ दिया हो
- अज्ञात
हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है
कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना
- अदा जाफ़री
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ
हम भी न डूब जाएं कहीं ना-ख़ुदा के साथ
- अब्दुल हमीद अदम
छोड़ा नहीं ख़ुदी को दौड़े ख़ुदा के पीछे
आसां को छोड़ बंदे मुश्किल को ढूंढ़ते हैं
- अब्दुल हमीद अदम
दामन पे कोई छींट न ख़ंजर पे कोई दाग़
तुम क़त्ल करो हो कि करामात करो हो
- कलीम आजिज़
यारों किसी क़ातिल से कभी प्यार न माँगो
अपने ही गले के लिए तलवार न माँगो
- क़तील शिफ़ाई
क़ातिल ने किस सफ़ाई से धोई है आस्तीं
उसको ख़बर नहीं कि लहू बोलता भी है
- इक़बाल अज़ीम
क़त्ल तो नहीं बदला क़त्ल की अदा बदली
तीर की जगह क़ातिल साज़ उठाए बैठा है
- कैफ़ भोपाली
जब्र का मतलब होता है- वो सब कुछ जो मर्ज़ी के ख़िलाफ़ थोप दिया जाना या किसी बात के लिए मजबूर करना। हठ करना, अत्याचार अथवा जुल्म।
ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
- मुज़फ़्फ़र रज़्मी
दगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं
हाए इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं
- फ़ानी बदायुनी
न जाने जब्र है हालत कि हालत जब्र है यानी
किसी भी बात के मअनी जो हैं उन के हैं क्या मअनी
- जौन एलिया
जब्र ने आख़िरी बोली ईजाद की
मैं ने सारी शाइरी बेच कर आग ख़रीदी
- अफ़ज़ाल अहमद सय्यद
ज़िंदगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं
हाए इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं
- फ़ानी बदायुनी
मैं हूँ भी और नहीं भी अजीब बात है ये
ये कैसा जब्र है मैं जिस के इख़्तियार में हूँ
- मुनीर नियाज़ी
ज़िंदगी जब्र है और जब्र के आसार नहीं
हाए इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं
- फ़ानी बदायुनी
अपनी तक़दीर अपने हाथ में ले
शामिल-ए-जब्र इख़्तियार भी है
- फ़िराक़ गोरखपुरी
यही जुनूँ का यही तौक़-ओ-दार का मौसम
यही है जब्र यही इख़्तियार का मौसम
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
जब रात होती है तो सितारे निकलते हैं
अफ़्शाँ ज़रूर चाहिए थे ज़ुल्फ़-ए-यार में
- गोया फ़क़ीर मोहम्मद