मैं भी बहुत अजीब हूं इतना अजीब हूं कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
- जौन एलिया
तुझ से किस तरह मैं इज़हार-ए-तमन्ना करता
लफ़्ज़ सूझा तो मानी ने बग़ावत कर दी
- अहमद नदीम क़ासमी
कोई तो ऐसा घर होता जहां से प्यार मिल जाता
वही बेगाने चेहरे हैं जहां जाएं जिधर जाएं
- साहिर लुधियानवी
इल्म की इब्तिदा है हंगामा
इल्म की इंतिहा है ख़ामोशी
- फ़िरदौस गयावी
जैसे हो उम्र भर का असासा ग़रीब का
कुछ इस तरह से मैं ने संभाले तुम्हारे ख़त
- वसी शाह
मिरे गुनाह ज़ियादा हैं या तिरी रहमत
करीम तू ही बता दे हिसाब कर के मुझे
- मुज़्तर ख़ैराबादी
रोज़ अच्छे नहीं लगते आंसू
ख़ास मौक़ों पे मज़ा देते हैं
- मोहम्मद अल्वी
इस क़दर रोया हूँ तेरी याद में
आईने आंखों के धुँदले हो गए
- नासिर काज़मी