तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूं मैं
कि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा
-वसीम बरेलवी
यूं बिछड़ना भी बहुत आसां न था उस से मगर
जाते जाते उस का वो मुड़ कर दोबारा देखना
- परवीन शाकिर
बात उल्टी वो समझते हैं जो कुछ कहता हूँ
अब की पूछा तो ये कह दूंगा कि हाल अच्छा है
- जलील मानिकपूरी
हमीं जब न होंगे तो क्या रंग-ए-महफ़िल
किसे देख कर आप शरमाइएगा
- जिगर मुरादाबादी
शहर के अंधेरे को इक चराग़ काफ़ी है
सौ चराग़ जलते हैं इक चराग़ जलने से
- एहतिशाम अख्तर
अँधेरे चारों तरफ़ सांय-सांय करने लगे
चिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे
तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर
ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे
- राहत इन्दौरी
इश्क़ में कुछ नज़र नहीं आया
जिस तरफ़ देखिए अँधेरा है
- नूह नारवी
कुछ अंधेरा सा हर तरफ़ छाया
खुल गया जब बरस के वो बादल
- मिर्ज़ा शौक़ लखनवी
रात अंधेरे ने अंधेरे से कहा
एक आदत है जिए जाना भी
- कैफ़ी आज़मी
आ गए हो तो उजाला है मिरी दुनिया में
जाओगे तुम तो अंधेरा ही अंधेरा होगा
- लैस क़ुरैशी
रौशनी फैली तो सब का रंग काला हो गया
कुछ दिए ऐसे जले हर-सू अंधेरा हो गया
- आज़ाद गुलाटी
अँधेरों की शिकायत क्या अँधेरे फिर अँधेरे हैं
उजाले भी सितम इस दौर में कुछ कम नहीं करते
- आज़ाद गुरदासपुरी
हमारी प्यास पे बरसा अंधेरे उजियाले
वो कुछ घटाओं सा कुछ माहताब सा क्या था
- बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन
मरने वालों की ज़िंदगी तू है
इस अँधेरे की रौशनी तो है
- साहिर लुधियानवी
है अंदर रौशनी बाहर अंधेरा
सो दोनों को मिला लेते हैं थोड़ा
- शोएब निज़ाम
सहर कैसी सहर का ज़िक्र भी इक जुर्म ठहरा है
अँधेरी रात का देखा है ये अंधेर भी मैं ने
- वक़ार मानवी
क्या क्या न अबुल-हौल तराशे गए उस से
जैसे ये अंधेरा भी हो पत्थर का अंधेरा
- आफ़ताब इक़बाल शमीम