सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Bhabhi Ji Ghar Par Hain: अंगूरी भाभी का ये अवतार देखा है आपने, असल जिंदगी में ऐसे रहती हैं भाबी जी!


Bhabi Ji Ghar Par Hain भाबी जी घर पर हैं में अंगूरी भाभी का किरदार निभाने वाली शुभांगी आत्रे असल जिंदगी में काफी अलग जीवन जीता हैं जिसका सबूत है ये तस्वीरें।

एंड टीवी पर प्रसारित होने वाला मशहूर कार्यक्रम 'भाबी जी घर पर हैं' अब सबकी पसंद बन गया है। इसमें अंगूरी भाभी का किरदार लोग ज्यादा पसंद करते हैं और उनके डायलॉग बोलने की स्टाइल भी काफी प्रभावित करती हैं। 'सही पकड़े हैं' के डायलॉग से अपनी अलग पहचान वाली अंगूरी भाभी का असल नाम शुभांगी आत्रे है। आप शो में देखते होंगे कि शुभांगी शो में एक आम महिला की तरह सिर्फ घर में ही रहती हैं, लेकिन असल जिंदगी में शुभांगी काफी बिंदास हैं।



हमेशा साड़ी में दिखने वाली अंगूरी भाभी का असल जिंदगी में लुख काफी अलग है और वो शूटिंग के अलावा ग्लैमरस अंदाज में रहती हैं। अक्सर घूमने फिरने की तस्वीरें शेयर करने वाली शुभांगी हमेशा अलग लुक में दिखती हैं और आप असल जिंदगी में उन्हें पहचान ही नहीं पाएंगे। शुभांगी का असल जिंदगी में लाइफस्टाइल काफी अलग है और उस लाइफस्टाइल के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।


अंगूरी भाभी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। इंस्टाग्राम पर अंगूरी भाभी लगातार अपने वीडियो शेयर करती रहती हैं और टिक टॉक पर भी वीडियो बनाती हैं। साथ ही अपने फैंस से अपनी तस्वीरें साझा करने में शुभांगी पीछे नहीं है। अभी इंस्टाग्राम पर उनके ढ़ाई लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं और उनकी हर तस्वीर को हजारों लाइक मिलते हैं।



बता दें कि शुभांगी इंदौर की रहने वाली हैं और उन्होंने एमबीए की पढ़ाई की है। साल 2006 से टीवी जगत में एक्टिव शुभांगी ने एकता कपूर के शो कसौटी जिंदगी की में अभिनय किया था। उसके अलावा वो चिड़िया घर जैसे कार्यक्रमों में नजर आ चुकी हैं। शुभांगी कई सालों से भाबी जी घर पर हैं कार्यक्रम से जुड़ी हुई हैं।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं. ...

आज के टॉप 4 शेर (friday feeling best 4 sher collection)

आज के टॉप 4 शेर ऐ हिंदूओ मुसलमां आपस में इन दिनों तुम नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ - लाल चन्द फ़लक मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा - अल्लामा इक़बाल उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे - जिगर मुरादाबादी हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी - अहमद फ़राज़ साहिर लुधियानवी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कैफ़ी आज़मी इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद बशीर बद्र दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों वसीम बरेलवी आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी मीर तक़ी मीर बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो - मीर तक़ी...

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे...