Hindi Ibne Insha Top Nazm Collection |
उस आंगन का चांद
शाम समय इक ऊंची सीढ़ियोंवाले घर के आंगन में
चांद को उतरे देखा हमने, चांद भी कैसा? पूरा चांद
इंशा जी इन चाहनेवाली, देखनेवाली आंखों ने
मुल्कों-मुल्कों, शहरों-शहरों, कैसा-कैसा देखा चांद
हर इक चांद की अपनी धज थी, हर इक चांद का अपना रूप
लेकिन ऐसा रौशन-रौशन, हंसता बातें करता चांद?
दर्द की टीस तो उठती थी, पर इतनी भी भरपूर कभी?
आज से पहले कब उतरा था दिल में इतना गहरा चांद
हमने तो क़िस्मत के दर से जब पाए अंधियारे पाए
यह भी चांद का सपना होगा, कैसा चांद? कहां का चांद?
फ़र्ज़ करो
फ़र्ज़ करो हम अहले वफ़ा हों, फ़र्ज़ करों दीवाने हों
फ़र्ज़ करो ये दोनों बातें झूठी हों, अफ़साने हों
फ़र्ज़ करो ये जी की बिपता जी से जोड़ सुनाई हो
फ़र्ज़ करो अभी और हो इतनी, आधी हमने छुपाई हो
फ़र्ज़ करो तुम्हें ख़ुश रखने के ढूंढ़े हमने बहाने हों
फ़र्ज़ करो ये नैन तुम्हारे सच मुच के मयख़ाने हों
फ़र्ज़ करो ये रोग हो झूठा, झूठी पीत हमारी हो
फ़र्ज़ करो इस पीत के रोग में सांस भी हम पर भारी हो
फ़र्ज़ करो ये जोग बजोग का हमने ढोंग रचाया हो
फ़र्ज़ करो बस यही हक़ीक़त बाक़ी सबकुछ माया हो
एक बार कहो तुम मेरी हो
हम घूम चुके बस्ती बन में
इक आस की फांस लिए मन में
कोई साजन हो कोई प्यारा हो
कोई दीपक हो, कोई तारा हो
जब जीवन रात अँधेरी हो
इक बार कहो तुम मेरी हो
जब सावन बादल छाए हों
जब फागुन फूल खिलाए हों
जब चंदा रूप लुटाता हो
जब सूरज धूप नहाता हो
या शाम ने बस्ती घेरी हो
इक बार कहो तुम मेरी हो
हां दिल का दामन फैला है
क्यूं गोरी का दिल मैला है
हम कब तक पीत के धोके में
तुम कब तक दूर झरोके में
कब दीद से दिल को सेरी हो
इक बार कहो तुम मेरी हो
क्या झगड़ा सूद ख़सारे का
ये काज नहीं बंजारे का
सब सोना रूपा ले जाए
सब दुनिया, दुनिया ले जाए
तुम एक मुझे बहुतेरी हो
इक बार कहो तुम मेरी हो