hindi motivation shayari
इतना बे-आसरा नहीं हूं मैं
आदमी हूं ख़ुदा नहीं हूं मैं
- परवेज़ साहिर
चाहे सोने के फ़्रेम में जड़ दो
आइना झूट बोलता ही नहीं
- कृष्ण बिहारी नूर
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूं
- साहिर लुधियानवी
इस भरोसे पे कर रहा हूं गुनाह
बख़्श देना तो तेरी फ़ितरत है
- अज्ञात
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले
वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था
वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
सुनते थे वो आएंगे सुनते थे सहर होगी
वाइज़ है न ज़ाहिद है नासेह है न क़ातिल है
अब शहर में यारों की किस तरह बसर होगी
ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में
हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं