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Hindi Shayari Takraav sangharsh shayari collection

Takraav sangharsh shayari collection

दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए
जब तक न साँस टूटे जिए जाना चाहिए
- निदा फ़ाज़ली

मिरे दुश्मन के जो हालात हैं उन से ये ज़ाहिर है
कि अब शीशे से टकराने पे पत्थर टूट जाता है
- मयंक अवस्थी

ख़्वाबों की एक नाव समुंदर में डाल के
तूफ़ाँ की मौज मौज से टकराना चाहिए
- बाक़र मेहदी






क़िस्सों को सच मानने वाले, देख लिया अंजाम?
पागल झूट की ताक़त से टकराने बैठा था
- इरफ़ान सत्तार

अहल-ए-कश्ती तुम को ये हर मौज देती है पयाम
पाओगे साहिल मगर तूफ़ाँ से टकराने के बा'द
- शारिब लखनवी


दश्त-ए-तन्हाई में जी चाहा उसे आवाज़ दूँ
जब पुकारा ख़ुद सदा से अपनी टकराने लगा
- सत्य नन्द जावा


ओढ़ लिया है मैं ने लिबादा शीशे का
अब मुझ को किसी पत्थर से टकराने दो
- कुमार पाशी

पास पड़ोसी मिलने आना भूल गए
बर्तन आपस में टकराना भूल गए
- मोहम्मद अल्वी

ये शीशे का बदन ले कर निकल तो आए हो लेकिन
किसी पत्थर से टकराने में कितनी देर लगती है
- मनीश शुक्ला


आइना पत्थर से टकराना ज़रूरी तो नहीं
बात जब है आइने से आइना टकराइए
- अशोक साहनी

फिर किसी के दर पे ख़ुश्बू दे रही है दस्तकें
फिर कोई आहट मिरे कानों से टकराने लगी
- शोएब निज़ाम

आँधियो आ जाओ खुल कर मैं चराग़-ए-तूर हूँ
मुझ से टकराने का तुम को भी मज़ा मिल जाएगा
- हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी


कभी तूफ़ाँ में रुख़ मौजें बदल देती हैं जब अपना
सफ़ीने साहिलों पर ला के टकराने भी होते हैं
- ज़ेब बरैलवी

समुंदर में जज़ीरे हैं जज़ीरों पर है आबादी
अभी इक शोर बस कानों से टकराने ही वाला है
- ख़ालिद इबादी



तेज़ हवा से टकराने में एक हुनर था कश्ती का
लोग तमाशा देख रहे थे बैठे दूर किनारों से
- जानाँ मलिक

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