Aah:- Shayari collection
दिल पर चोट पड़ी है तब तो आह लबों तक आई है
यूँ ही छन से बोल उठना तो शीशे का दस्तूर नहीं
~अंदलीब शादानी
कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए-मोहब्बत है
हम आह तो करते हैं फ़रियाद नहीं करते
~फ़ना निज़ामी कानपुरी
आह जो दिल से निकाली जाएगी
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी
~अकबर इलाहाबादी
ज़ब्त करता हूँ तो घुटता है क़फ़स में मिरा दम
आह करता हूँ तो सय्याद ख़फ़ा होता है
~क़मर जलालवी
दर्द-ए-दिल कितना पसंद आया उसे
मैं ने जब की आह उस ने वाह की
~आसी ग़ाज़ीपुरी एक ऐसा भी वक़्त होता है
मुस्कुराहट भी आह होती है
~जिगर मुरादाबादी
शेर क्या है आह है या वाह है
जिस से हर दिल की उभर आती है चोट
~साहिर देहल्वी
Aah:- Shayari collection
मिरी आह का तुम असर देख लेना
वो आएँगे थामे जिगर देख लेना
~जलील मानिकपूरी
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न कुछ सितम से तिरे आह आह करता हूँ
मैं अपने दिल की मदद गाह गाह करता हूँ
~शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
चमन फूँक डालूँगा आह ओ फ़ुग़ाँ से
वो मेरा नशेमन जला कर तो देखें
~अज्ञात
ऐ जुनूँ हाथ जो वो ज़ुल्फ़ न आई होती
आह ने अर्श की ज़ंजीर हिलाई होती
~गोया फ़क़ीर मोहम्मद
तुम भूल गए मुझ को यूँ याद दिलाता हूँ
जो आह निकलती है वो याद-दहानी है
~मुबारक अज़ीमाबादी
आह करता हूँ तो आते हैं पसीने उन को
नाला करता हूँ तो रातों को वो डर जाते हैं
~साइल देहलवी
जब से जुदा हुआ है वो शोख़ तब से मुझ को
नित आह आह करना और ज़ार ज़ार रोना
~मीर हसन
आह ताज़ीम को उठती है मिरे सीने से
दिल पे जब उस की निगाहों के ख़दंग आते हैं
~मीर हसन
न होवे क्यूँ के गर्दूं पे सदा दिल की बुलंद अपनी
हमारी आह है डंका दमामे के बजाने का
~अब्दुल वहाब यकरू
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