Famous awaz shayari collection |
Famous awaz shayari collection हिंसा, अन्याय के ख़िलाफ़ यदि मिलकर आवाज़ उठाई जाए तो वह शक्ति उत्पन्न करती है। लेकिन अगर यही आवाज़ बिखर जाए तो शोर भी पैदा कर सकती है। इस पर शायरों ने अपने अशआर कुछ यूं लिखे हैं-
तेरी आवाज़ भी है मेरी आवाज़ भी है
मैं उठा जिस को अहिंसा का सबक़ सिखलाने
- कैफ़ी आज़मी
लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुश्बू अज़ान दे
जी चाहता है मैं तिरी आवाज़ चूम लूँ
- बशीर बद्र
ख़ुदा की उस के गले में अजीब क़ुदरत है
वो बोलता है तो इक रौशनी सी होती है
- बशीर बद्र
सब्र पर दिल को तो आमादा किया है लेकिन
होश उड़ जाते हैं अब भी तिरी आवाज़ के साथ
- आसी उल्दनी
आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए
वर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है
- मुनीर नियाज़ी
छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है
- असरार-उल-हक़ मजाज़
मौत ख़ामोशी है चुप रहने से चुप लग जाएगी
ज़िंदगी आवाज़ है बातें करो बातें करो
- अहमद मुश्ताक़
उस ग़ैरत-ए-नाहीद की हर तान है दीपक
शोला सा लपक जाए है आवाज़ तो देखो
- मोमिन ख़ाँ मोमिन
फूल की ख़ुशबू हवा की चाप शीशे की खनक
कौन सी शय है जो तेरी ख़ुश-बयानी में नहीं
- अज्ञात
दर्द-ए-दिल पहले तो वो सुनते न थे
अब ये कहते हैं ज़रा आवाज़ से
- जलील मानिकपूरी
तिरी आवाज़ को इस शहर की लहरें तरसती हैं
ग़लत नंबर मिलाता हूँ तो पहरों बात होती है
- ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
देती रही आवाज़ पे आवाज़ ये दुनिया
सर हम ने न फिर ख़ाक की चादर से निकाला
- असलम महमूद
रात इक उजड़े मकाँ पर जा के जब आवाज़ दी
गूँज उट्ठे बाम-ओ-दर मेरी सदा के सामने
- मुनीर नियाज़ी
कहीं कोई चराग़ जलता है
कुछ न कुछ रौशनी रहेगी अभी
- अबरार अहमद
उस जगह जा के वो बैठा है भरी महफ़िल में
अब जहां मेरे इशारे भी नहीं जा सकते
- फ़रहत एहसास
राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या
आगे आगे देखिए होता है क्या
- मीर तक़ी मीर
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो
- बशीर बद्र