Best Shayari
अल्लाह-रे उस गुल की कलाई की नज़ाकत
बल खा गई जब बोझ पड़ा रंग-ए-हिना का
- अमीर मीनाई
ये लताफ़त, ये नज़ाकत, ये हया, ये शोख़ी
सौ दिए जुलते हैं उमडी हुई ज़ुल्मत के ख़िलाफ़
- कैफ़ी आज़मी
ख़्वाब में आँखें जो तलवों से मलीं
बोले उफ़ उफ़ पाँव मेरा छिल गया
- अमीर मीनाई
आप की नाज़ुक कमर पर बोझ पड़ता है बहुत
बढ़ चले हैं हद से गेसू कुछ इन्हें कम कीजिए
- हैदर अली आतिश
मोहब्बत फूल बनने पर लगी थी
पलट कर फिर कली कर ली है मैं ने
- फ़रहत एहसास
Best Shayari Collection
रहा ये पास हमें आप की नज़ाकत का
कि दिल का ख़ून हुआ मुँह से आह कर न सके
- हफ़ीज़ जौनपुरी
हैं फ़र्द नज़ाकत में मगर देखे में ज़ौज
दो होंट हैं और प्यास की है चारों तरफ़ फ़ौज
- मीर मुज़फ़्फ़र हुसैन ज़मीर
नज़ाकत कोसती है मुझ को क्या क्या
तबीअत आई अच्छी नाज़नीं पर
- रियाज़ ख़ैराबादी
सँभल सँभल के तो चलता है वो सितारा भी
तुम्हारी जैसी नज़ाकत से कम निकलता है
- नोमान शौक़
पड़ा दोनों ज़ुल्फ़ों का उन की जो अक्स
नज़ाकत से दोहरी कमर हो गई
- अरशद अली ख़ान क़लक़
Nazkat' Best Shayari
मुझे वो रखता है मसरूफ़ किस नज़ाकत से
कि ग़म से रिश्ता मिरा दूसरा निकल आया
- हसन निज़ामी
रेशम के लच्छे हैं बाल मख़मल के टुकड़े हैं गाल
है ये नज़ाकत का हाल पतली कमर बाल है
- इमदाद अली बहर
हमें तो क़त्ल किया बस इसी नज़ाकत ने
कि वो उठाती हैं तेग़ और नहीं उकसती है
- गोया फ़क़ीर मोहम्मद
ये दुनिया नफ़रतों के आख़री स्टेज पे है
इलाज इस का मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है
- चरण सिंह बशर
मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या
- जौन एलिया
बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से
चमन में आ के भी कांटा गुलाब हो न सका
- आरज़ू लखनवी
ज़ख़्म लगा कर उस का भी कुछ हाथ खुला
मैं भी धोका खा कर कुछ चालाक हुआ
- ज़ेब ग़ौरी
वो चांद कह के गया था कि आज निकलेगा
तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूं शाम से मैं
- फ़रहत एहसास
तुम्हारी आंखों की तौहीन है ज़रा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है
- मुनव्वर राना
इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे
- बशीर बद्र
जिस भी फ़नकार का शहकार हो तुम
उस ने सदियों तुम्हें सोचा होगा
- अहमद नदीम क़ासमी
चांद सा मिस्रा अकेला है मिरे काग़ज़ पर
छत पे आ जाओ मिरा शेर मुकम्मल कर दो
- बशीर बद्र
चांदनी रातों में चिल्लाता फिरा
चांद सी जिस ने वो सूरत देख ली
- रिन्द लखनवी
रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चांद
- परवीन शाकिर
रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम
दहका हुआ है आतिश-ए-गुल से चमन तमाम
- हसरत मोहानी
आसमां झांक रहा है 'ख़ालिद'
चांद कमरे में मिरे उतरा है
- ख़ालिद शरीफ़
हम को अक्सर ये ख़याल आता है उस को देख कर
ये सितारा कैसे ग़लती से ज़मीं पर रह गया
- इम्तियाज़ ख़ान
Hindi shayari, urdu shayari, top shayari, best sher, best shayari, famous sher, famous shayari, motivational sher, motivational shayari, inspiring sher, sad shayari, sad sher, top sher, love sher, love shayari, लव शायरी, लव शेर, टॉप शायरी, शेर, shaya, टॉप शेर