अतुल चतुर्वेदी
ब प्रेम पगे दिन नहीं , ब्रेकअप भरे दिन हैं । अ जिधर देखो , दिल टूटने के समाचार हैं । उम्मीदों को पलीता लगने की खबरें हैं । कोई नहर में छलांग लगा रहा है , तो कोई टॉवर पर चढ़ धमका रहा है । प्रेम न हो गया , ब्लैक मेलिंग का धंधा हो गया । या तो ' आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा ' , वरना चल अपना रास्ता नाप । पुराने दिनों में प्रेम करना ज्यादा कठिन था ।
लड़की के बाप से लेकर भाईयों तक से बचाव के तरीके खोजने पड़ते थे । कॉपी और किताबों के आदान - प्रदान के सात्विक माध्यम से ही बात आगे बढ़ पाती थी । आज प्रेम का मार्ग सुगम और जनसुलभ हो गया है । सर्वत्र प्रेम उपलब्ध है । मेट्रो से लेकर कैफे और परंपरागत पार्कों में प्रेम के परनाले बह रहे हैं ।
चाहें तो उसमें डुबकी लगाइए या आचमन करके देखिए । देखने में क्या बुराई है ? क्या पता , आपके अंदर बरसों से जमी घृणा और वैमनस्यता की काई हट जाए । आजकल का प्रेम यथार्थवादी है । पैकेज , पद और लुक देखकर ही मृगनैनियां जान छिड़कती हैं । कॅरियर की राह में अब प्रेम बाधक नहीं , साधक है ।
एक - दो ब्वॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड नई हो , तो जीवन में गजब की एकाग्रता उत्पन्न आमद होती है । प्रेम अब तलवार की धार पर नहीं चलता , वह स्वार्थों के राजपथ पर सरपट भागता है और अहम की दीवारों से टकराकर बहुधा चकनाचूर हो जाता है । यह जितनी सुगमता से होता है , उतनी ही सरलता से टूट भी जाता है । ब्रेकअप को अब स्टेट्स सिंबल की तरह लिया जाता है । प्रेमी समाज में जिसके जितने अधिक ब्रेकअप , वह उतना ही सफल खिलाड़ी माना जाता है । इस क्षेत्र में आज रोजगार की भी कमी नहीं है ।
आप लवगुरु के रूप में मार्गदर्शन दे सकते हैं । क्या हुआ जो आपके जीवन में प्रेम का गुलाब नहीं खिला , आप दूसरों के बगीचे में ही पानी दीजिए । आखिर प्रेम का पर्यावरण हरा - भरा रहेगा , तो नफरत की फूंक मारने की जरूरत नहीं पड़ेगी ।