" सच कहूं तो आज ही होश में आई हूं . .
गौरव चाहकर भी उसे रोक न गा पाया । वह बस नैना को जाते हुए देखता रहा । नैना उसके लिए महज एक एंकर नहीं थी ।
Sach Kahu To Aaj Hosh Main Aaya Hu Hindi Kahani,
नैना उसकी जिंदगी का हिस्सा थी । पर क्या थी , कितना थी , इसे वह नहीं जानता था । क्या वह वाकई नैना से प्यार करने लगा है ? इस सवाल का जवाब तो वह खुद भी काफी दिनों से खोज रहा था । नैना के आज के व्यवहार से , उसकी नाराजगी से , उसके दिल में जो कसक - सी उठ रही थी , वह खुद भी उसका निदान चाहता था । नैना के केबिन से जाने के बाद कई घंटे बीत चुके थे । इस बीच गौरव ने उसे कई मैसेज भेजे , लेकिन किसी का जवाब नहीं मिला ।
नैना ने पूरी तरह खामोशी ओढ़ रखी थी । उसने नैना का शो खत्म होने का इंतजार किया और शो के खत्म होते ही खुद स्टूडियो में चला गया । नैना तब तक अपना लेपल माइक और ईयर पीस उतार रही थी । उसने नैना से कहा कि वह तुरंत उसके केबिन में आए । यह कहकर वह वापस अपने केबिन में आ गया और कुछ ही देर में नैना भी वहां पहुंच गई । कुछ देर तक गौरव उसे देखता रहा , जैसे अनुमान लगाने की कोशिश कर रहा हो कि नैना का मूड अभी कैसा है ? नैना ने इस बीच कोई प्रतिक्रिया नहीं दी । " क्या बात है नैन्स . . .
अब तक नाराज हो ? " उसने प्यार जताते हुए पूछा । जवाब में नैना ने सिर्फ एक बार पलकें उठाईं , उसे देखा और फिर सिर झुकाकर कहा , " किस बात की नाराजगी ? मैनेजिंग एडिटर से भला कोई कैसे नाराज हो सकता है ? " " अरे यार , अब भूल भी जाओ इस बात को । कितना गुस्सा करती हो तुम ? " यह कहते हुए वह नैना के करीब आ गया और कुसी खींचकर उसके सामने बैठ गया ।
उसने नैना के दोनों हाथ अपने हाथ में ले लिए . . . नैना की नजरें तुरंत उसके चेहरे की ओर उठ गईं । उसने नजर उठाकर न्यूजरूम की तरफ देखा कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा । इस समय साढ़े दस बज चुके थे , चैनल का ज्यादातर स्टाफ दस बजते - बजते घर जा चुका था । गौरव ने धीरे - से उससे नजरें मिलाई और कहा , " तुम तो जानती हो कि तुम्हारे अलावा मेरा इतना अपना और कोई नहीं है ।
" गौरव के इस मनुहार भरे बर्ताव से नैना एक बार फिर से भड़क - सी उठी , " और कितना झूठ बोलोगे गौरव ? " नैना का लहजा फिर सख्त हो उठा था । “ तुम्हारे जैसे लोग क्या कभी किसी के होते हैं ? " गौरव इस सवाल के लिए कतई तैयार नहीं था । उसे लग रहा था कि हमेशा की तरह नैना कुछ देर रूठी रहेगी । वह उसे मनाएगा , फिर वह बाहर निकलेंगे , मिलेंगे और सब ठीक हो जाएगा । पर , इस बार शायद बात बहुत आगे बढ़ चुकी थी ।
नैना के इस व्यवहार से अभी वह उधेड़बुन में ही था कि वह फिर से बोल उठी , “ तुम दरअसल किसके हो , यह तो तुम्हें भी पता नहीं होगा ? तुम्हारे जैसे लोग तो शायद यह भी नहीं जानते कि कल वह किसके साथ रहेंगे ? " यह कहते - कहते नैना का गला भर आया । वह आगे बोली , " सच तो यह है कि तुम सिर्फ खुद से प्यार करते हो । बाकी लोग तुम्हारे लिए एक मोहरा हैं । उनके साथ तुम तब तक खेलते हो , जब तक तुम्हारा दिल नहीं भर जाता या जिनका होना तुम्हारे लिए फायदेमंद नहीं होता । उसके बाद बात खत्म ।
कैसी बातें कर रही हो ? कहां से मेरे खिलाफ इतना जहर भर लिया है तुमने ? " यह कहते - कहते गौरव उठकर खड़ा हो गया । " मैं प्यार करना नहीं जानता ! मुझे नहीं पता कि मैं किससे प्यार करता हूं , तो फिर तुम्हारे साथ क्या कर रहा हूं मैं ? क्या यह प्यार नहीं है ? तुम्ही बताओ , क्या है यह ? " गुस्से में गौरव की आवाज कांप रही थी । " खेल है यह . . . , " नैना गुस्से में चीख पड़ी । " तुम्हारा रचा हुआ खेल , जिसमें आज कोई ऊपर है , तो कल कोई और ! और कितना खेलोगे ? और कब तक करोगे छल ? " " क्या बकवास है ये ।
" कहते हुए गौरव की आंखें बाहर निकल आईं । कुछ सेकंड तो उसको समझ ही नहीं आया कि वह क्या कहे । फिर थोड़ा संभलते हुए उसने कहा , " ईर्ष्या ने तुम्हें अंधा कर दिया है । लगता है कि सोचने - समझने की ताकत खो बैठी हो तुम । होश गंवा चुकी हो । " " होश गंवाए नहीं हैं , सच कहूं तो आज ही होश में आई हूं । " यह कहते हुए वह फिर से अचानक से उठ खड़ी हुई और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई । गौरव वर्मा को पहले कभी ऐसा देखने को नहीं मिला था कि कोई उसके केबिन में आया हो और बिना इजाजत उठकर चला गया हो , वह भी तब , जब उसने खुद उसको अपने केबिन में बुलाया हो ।
नैना ने एक ही दिन में दूसरी बार ऐसा किया था । गौरव की इस बार हिम्मत नहीं हुई उसके पीछे जाने की । उसके दिमाग ने मानो काम करना ही बंद कर दिया था । वह पलटकर धम्म से अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गया । काफी देर तक वह अपना सिर पकड़े बैठा रहा और सोचता रहा अपने बारे में , चैनल के बारे में , सुबह से अब तक घटी घटनाओं के बारे में , नैना के बारे में , नैना से अपने रिश्तों के बारे में ।
फिर उसने अपना मोबाइल उठाया और मैसेज लिखना शुरू किया । - ' नहीं जानता कि मेरा कुसूर क्या है , लेकिन आज के तुम्हारे व्यवहार से मैं हैरान हूं । ' ' आज जो मेरे केबिन में था , वह कौन था ! वह तुम तो नहीं थीं नैन्स । वह तुम नहीं हो सकतीं । ' उसने ये दोनों मैसेज नैना को भेज दिए । कुछ देर जवाब का इंतजार करने के बाद उसने फिर से लिखना शुरू किया । ' तुम्हें अपने अलावा कभी कोई और दिखाई नहीं दिया । तुम्हारी जिंदगी में सिर्फ तुम ही तुम हो , कोई और नहीं । पहले भी मैं यह बात जानता था , पर आज देख लिया ।
तुमसे रिश्ता बनाना और तुम्हें अपना समझना शायद मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी । जबाव न मिलने पर उसने फिर से लिखना शुरू किया , ' मान जाओ यार , यह भी कोई बात हुई । हम इन मसलों पर मिलकर बात कर सकते हैं । किसी भी बात को बढ़ाना आसान है , पर खत्म करना बेहद मुश्किल । ' । ' हमें तो सारी जिंदगी साथ रहना है । ऐसे कैसे रहेंगे ? '
गौरव चाहकर भी उसे रोक न गा पाया । वह बस नैना को जाते हुए देखता रहा । नैना उसके लिए महज एक एंकर नहीं थी ।
Sach Kahu To Aaj Hosh Main Aaya Hu Hindi Kahani,
नैना उसकी जिंदगी का हिस्सा थी । पर क्या थी , कितना थी , इसे वह नहीं जानता था । क्या वह वाकई नैना से प्यार करने लगा है ? इस सवाल का जवाब तो वह खुद भी काफी दिनों से खोज रहा था । नैना के आज के व्यवहार से , उसकी नाराजगी से , उसके दिल में जो कसक - सी उठ रही थी , वह खुद भी उसका निदान चाहता था । नैना के केबिन से जाने के बाद कई घंटे बीत चुके थे । इस बीच गौरव ने उसे कई मैसेज भेजे , लेकिन किसी का जवाब नहीं मिला ।
नैना ने पूरी तरह खामोशी ओढ़ रखी थी । उसने नैना का शो खत्म होने का इंतजार किया और शो के खत्म होते ही खुद स्टूडियो में चला गया । नैना तब तक अपना लेपल माइक और ईयर पीस उतार रही थी । उसने नैना से कहा कि वह तुरंत उसके केबिन में आए । यह कहकर वह वापस अपने केबिन में आ गया और कुछ ही देर में नैना भी वहां पहुंच गई । कुछ देर तक गौरव उसे देखता रहा , जैसे अनुमान लगाने की कोशिश कर रहा हो कि नैना का मूड अभी कैसा है ? नैना ने इस बीच कोई प्रतिक्रिया नहीं दी । " क्या बात है नैन्स . . .
अब तक नाराज हो ? " उसने प्यार जताते हुए पूछा । जवाब में नैना ने सिर्फ एक बार पलकें उठाईं , उसे देखा और फिर सिर झुकाकर कहा , " किस बात की नाराजगी ? मैनेजिंग एडिटर से भला कोई कैसे नाराज हो सकता है ? " " अरे यार , अब भूल भी जाओ इस बात को । कितना गुस्सा करती हो तुम ? " यह कहते हुए वह नैना के करीब आ गया और कुसी खींचकर उसके सामने बैठ गया ।
उसने नैना के दोनों हाथ अपने हाथ में ले लिए . . . नैना की नजरें तुरंत उसके चेहरे की ओर उठ गईं । उसने नजर उठाकर न्यूजरूम की तरफ देखा कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा । इस समय साढ़े दस बज चुके थे , चैनल का ज्यादातर स्टाफ दस बजते - बजते घर जा चुका था । गौरव ने धीरे - से उससे नजरें मिलाई और कहा , " तुम तो जानती हो कि तुम्हारे अलावा मेरा इतना अपना और कोई नहीं है ।
" गौरव के इस मनुहार भरे बर्ताव से नैना एक बार फिर से भड़क - सी उठी , " और कितना झूठ बोलोगे गौरव ? " नैना का लहजा फिर सख्त हो उठा था । “ तुम्हारे जैसे लोग क्या कभी किसी के होते हैं ? " गौरव इस सवाल के लिए कतई तैयार नहीं था । उसे लग रहा था कि हमेशा की तरह नैना कुछ देर रूठी रहेगी । वह उसे मनाएगा , फिर वह बाहर निकलेंगे , मिलेंगे और सब ठीक हो जाएगा । पर , इस बार शायद बात बहुत आगे बढ़ चुकी थी ।
नैना के इस व्यवहार से अभी वह उधेड़बुन में ही था कि वह फिर से बोल उठी , “ तुम दरअसल किसके हो , यह तो तुम्हें भी पता नहीं होगा ? तुम्हारे जैसे लोग तो शायद यह भी नहीं जानते कि कल वह किसके साथ रहेंगे ? " यह कहते - कहते नैना का गला भर आया । वह आगे बोली , " सच तो यह है कि तुम सिर्फ खुद से प्यार करते हो । बाकी लोग तुम्हारे लिए एक मोहरा हैं । उनके साथ तुम तब तक खेलते हो , जब तक तुम्हारा दिल नहीं भर जाता या जिनका होना तुम्हारे लिए फायदेमंद नहीं होता । उसके बाद बात खत्म ।
कैसी बातें कर रही हो ? कहां से मेरे खिलाफ इतना जहर भर लिया है तुमने ? " यह कहते - कहते गौरव उठकर खड़ा हो गया । " मैं प्यार करना नहीं जानता ! मुझे नहीं पता कि मैं किससे प्यार करता हूं , तो फिर तुम्हारे साथ क्या कर रहा हूं मैं ? क्या यह प्यार नहीं है ? तुम्ही बताओ , क्या है यह ? " गुस्से में गौरव की आवाज कांप रही थी । " खेल है यह . . . , " नैना गुस्से में चीख पड़ी । " तुम्हारा रचा हुआ खेल , जिसमें आज कोई ऊपर है , तो कल कोई और ! और कितना खेलोगे ? और कब तक करोगे छल ? " " क्या बकवास है ये ।
" कहते हुए गौरव की आंखें बाहर निकल आईं । कुछ सेकंड तो उसको समझ ही नहीं आया कि वह क्या कहे । फिर थोड़ा संभलते हुए उसने कहा , " ईर्ष्या ने तुम्हें अंधा कर दिया है । लगता है कि सोचने - समझने की ताकत खो बैठी हो तुम । होश गंवा चुकी हो । " " होश गंवाए नहीं हैं , सच कहूं तो आज ही होश में आई हूं । " यह कहते हुए वह फिर से अचानक से उठ खड़ी हुई और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई । गौरव वर्मा को पहले कभी ऐसा देखने को नहीं मिला था कि कोई उसके केबिन में आया हो और बिना इजाजत उठकर चला गया हो , वह भी तब , जब उसने खुद उसको अपने केबिन में बुलाया हो ।
नैना ने एक ही दिन में दूसरी बार ऐसा किया था । गौरव की इस बार हिम्मत नहीं हुई उसके पीछे जाने की । उसके दिमाग ने मानो काम करना ही बंद कर दिया था । वह पलटकर धम्म से अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गया । काफी देर तक वह अपना सिर पकड़े बैठा रहा और सोचता रहा अपने बारे में , चैनल के बारे में , सुबह से अब तक घटी घटनाओं के बारे में , नैना के बारे में , नैना से अपने रिश्तों के बारे में ।
फिर उसने अपना मोबाइल उठाया और मैसेज लिखना शुरू किया । - ' नहीं जानता कि मेरा कुसूर क्या है , लेकिन आज के तुम्हारे व्यवहार से मैं हैरान हूं । ' ' आज जो मेरे केबिन में था , वह कौन था ! वह तुम तो नहीं थीं नैन्स । वह तुम नहीं हो सकतीं । ' उसने ये दोनों मैसेज नैना को भेज दिए । कुछ देर जवाब का इंतजार करने के बाद उसने फिर से लिखना शुरू किया । ' तुम्हें अपने अलावा कभी कोई और दिखाई नहीं दिया । तुम्हारी जिंदगी में सिर्फ तुम ही तुम हो , कोई और नहीं । पहले भी मैं यह बात जानता था , पर आज देख लिया ।
तुमसे रिश्ता बनाना और तुम्हें अपना समझना शायद मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी । जबाव न मिलने पर उसने फिर से लिखना शुरू किया , ' मान जाओ यार , यह भी कोई बात हुई । हम इन मसलों पर मिलकर बात कर सकते हैं । किसी भी बात को बढ़ाना आसान है , पर खत्म करना बेहद मुश्किल । ' । ' हमें तो सारी जिंदगी साथ रहना है । ऐसे कैसे रहेंगे ? '