सचिन तेंदुलकर देश के महान क्रिकेटर हैं सो एक दिन संपादक जी ने कहा- बैठे-बैठे तुम एक नंबर के आलसी पत्रकार हो गए हो, आज हमें किसी दिग्गज क्रिकेटर का इंटरव्यू चाहिए और वह भी सचिन तेंदुलकर का, मैंने सुना तो, खोखली हंसी हंसकर रह गया.संपादक जी ने कहा-जा रहे हो न! उनकी धमक भरी वाणी ने असर किया,मै विवश हो, लडखड़ाता अपने घर की ओर चला. सो मैने अपना धर्म निभाया. एक पत्रकार क्या कर सकता है ? मैंने सचिन से मुठभेड़ करने की सोची और चद्दर ओढ़ कर सो गया.
“महाशतक” की खुशी में उद्योगपति मुकेश अंबानी ने जश्न ( पार्टी )का आयोजन रखा था.जिसमें देश के नामचीन लोगों को बुलाया गया था. आमिर खान, सलमान खान, अभिषेक बच्चन,दीपिका पादुकोण , प्रियंका चोपड़ा सहित बौलीवुड के नगीने भी इस मौके पर मौजूद थे. मैंने देश के एक मूर्धन्य जर्नलिस्ट का वेश बनाकर पार्टी में शिरकत की और मौका देखकर सचिन तेंदुलकर के आसपास भटकने लगा और मौका मिलते ही बातचीत शुरू कर दी.
मै- सचिन जी, नमस्कार ! मैं जर्नलिस्ट आपका एक धांसू सा साक्षात्कार चाहता हूं.
सचिन- आप ? मैंने पहचाना नहीं, आप किस चैनल से हैं.
मै-( हड़बड़ा कर ) जी.. जी ..मै देश के नामचीन मीडिया का स्पेशल करस्पान्डेट हूं.
सचिन – लेकिन, मैंने पहले तो कभी आपको देखा नहीं.
मै- ( पानी पानी होते हुए ) जी! मैं पहले आपसे मिल चुका हूं, शायद आप भूल रहे हैं, आखिर आपके पास समय ही कहां है. हम जैसे छोटे पत्रकारों को याद रखने का…
सचिन- नहीं, नहीं, दरअसल, मैं स्मरण कर रहा हूं कि आप से मेरी मुलाकात हुई है या नहीं.
मै- जी! मैं भी आपका एक छोटा सा फैन हूं आपके इर्द-गिर्द पहुंचने का मौका कहां मिलता है .आज सौभाग्य से आप तक पहुंच गया हूं.
सचिन-( हंसकर ) ऐसा नहीं है, मैं भी आपकी ही तरह साधारण हूं .
मै -यह तो आपका बड़प्पन है. मगर सच यह है कि आप राज ठाकरे, लता मंगेशकर और राहुल गांधी जैसी हस्तियों तक आप कैद होकर रह गए हैं.आम भारतीय आप तक पहुंच ही नहीं सकता…!
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सचिन-( मुस्कुराकर ) दरअसल, मसला सिक्योरिटी का है.
मै- क्या आपको अपने ही देश के लोगों से खतरा है ?
सचिन- भई खतरा तो खतरा है और यह अपने आसपास के लोगों से ज्यादा होता है.
मै- मगर यह अन्याय नहीं है क्या ? अपने ही देश के लोगों से खतरा ??
सचिन- हम सेलिब्रिटी इस हकीकत से गुजरते हैं दोस्त…।
मै- मुझे लगता है, आपको आम देशवासियों से खतरा नहीं बल्कि…
सचिन- (आश्चर्यवत् ) बल्कि… क्या मतलब .
मै – आपको देश के विशिष्ट लोगों से ज्यादा खतरा है.
सचिन- (आवाक्) मैं समझा नहीं .
मै- सचिनजी!आपको, राज ठाकरे जैसे इस देश के दिग्गजों से ज्यादा खतरा है.
सचिन- (खोखली हंसी हंसते हुए ) अच्छा… मुझे नहीं पता मुझे नहीं लगता.
मै- कभी बालासाहेब ठाकरे की एक हुंकार पर सचिन, आप की बोलती बंद हो जाती थी, भला क्यो?
सचिन- तुम पत्रकार हो या मिटर (आईना) मैं मौन रहूंगा.
मै- सचिन, मौन बोलता है. आपका मौन, सर चढ़कर बोल रहा है. आप सच्चाई को स्वीकार करिए.
सचिन- मैं अगर यह कहूं कि मैं बालासाहेब का सम्मान करता था तो…।
मै- और राज ठाकरे का.
सचिन- वे मेरे भाऊ हैं… बड़े भाई साहब (हंसते हैं )
मै- सचिन, आप को भारत रत्न मिलना चाहिए क्या ?
सचिन-( चिरपरिचित मुस्कान बिखेरते हुए ) इस प्रश्न का जवाब मैं आपसे चाहूंगा । बताइए आपको क्या लगता है.
मै- जी… मुझे तो प्रतीत होता है आप भारत रत्न के कतई हकदार नहीं है .
सचिन- (असहज होकर ) भला क्यों ? और अभी तो कहां था आप मेरे फैन हैं…
मै- मैं चाहता हूं आपको नहीं बल्कि मेजर ध्यानचंद हॉकी के जादूगर का, भारतरत्न पर पहला हक है. अब आप बताइए आप क्या सोचते हैं.
सचिन – मैं चाहता हूं भारत रत्न मुझे मिलना चाहिए.
मै- और मेजर ध्यानचंद…
सचिन- उनके बारे में देश सोचे, मैं तो देश के करोड़ों करोड़ों जनता की आवाज को स्वर दे रहा हूं .जनता यही चाहती है.
मै – मगर सचिन क्या आप चंद वर्ष इंतजार नहीं कर सकते.
सचिन- मैं तो तैयार हूं, मगर देश तैयार नहीं है.
मै- आप इंकार तो कर सकते हैं.
सचिन- यह सभ्यता के खिलाफ होगा.
मै- क्या सभ्यता का यही तकाजा है. पुरखों को छोड़कर बच्चों को…
सचिन- यह समय देखे, मैं तो एक नाचीज सा छोटा आदमी हूं.
मै- सचिन! क्या आप भारतरत्न प्राप्त कर सचमुच खुश होंगे.
सचिन- वाकई यह मेरे लिए प्रसन्नता का सबब होगा.
मै- लेकिन क्या आप वाकई भारतरत्न के काबिल है ? क्या आपने क्रिकेट के अलावा कोई उपलब्धि हासिल की है…
सचिन तेंदुलकर हो हो कर हंसने लगे. मै पलंग से नीचे गिर पड़ा मेरी नींद टूट चुकी थी.