Best Of Waqt Shayari Collection | Thahraao Shayari Collection Hindi |
‘वक़्त’ पर कहे गए शेर
वक़्त ठहर सा जाएगा
रात आधी रह जाएगी
- मुग़नी तबस्सुम
आज तो मेरा दिल कहता है
तू इस वक़्त अकेला होगा
- नासिर काज़मी
दर्द से यूँ नजात कब होगी
वक़्त ठहरा हुआ सा लगता है
- बलबीर राठी
चाँद के उजले चेहरे पर
वक़्त का गहरा साया था
- बशीर अहमद शाद
लोग लम्हों में ज़िंदा रहते हैं
वक़्त अकेला इसी सबब से है
- साक़ी फ़ारुक़ी
वक़्त रहते समझ नहीं आता
जो मिला है हमें मिला क्यूँ है
- राज कौशिक
सर उठाती हुई मौजों से हवाओं ने कहा
वक़्त के साथ चलो वक़्त से उलझा न करो
- इक़बाल आसिफ़
हर एक सख़्त वक़्त के बाद और वक़्त है
निशाँ कमाल-ए-फ़िक्र का ज़वाल में मिला मुझे
- मुनीर नियाज़ी
झाँकने ताकने का वक़्त गया
अब वो हम हैं न वो ज़माना है
- यगाना चंगेज़ी
ख़ुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को
बदलते वक़्त पे कुछ अपना इख़्तियार भी रख
- निदा फ़ाज़ली
'ठहराव' पर कहे गए शेर...
जो किसी दर पे न ठहरे वो हवा लगती हो
ज़ुल्फ़ लहराए तो आँचल में छुपा लेती हो
- साहिर लुधियानवी
मैं भी रुकता हूँ मगर रेग-ए-रवाँ की सूरत
मेरा ठहराव रवानी की तरह होता है
- फ़ैसल अजमी
अब के ख़िज़ाँ ऐसी ठहरी वो सारे ज़माने भूल गए
जब मौसम-ए-गुल हर फेरे में आ आ के दोबारा गुज़रे था
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
फिसलन ये किनारों प ये ठहराव नदी का
सब साफ़ इशारे हैं कि गहराई बहुत है
- अखिलेश तिवारी
सफ़र अपने ही भीतर कर रहा हूँ
मिरा ठहराव मुद्दत से रवाँ है
- बकुल देव
ठहराव पानियों में है कितना अजीब सा
दरिया के ख़ुश-ख़िराम सफ़ीनों की ख़ैर हो
- शबनम शकील
अजब ठहराव था जिस में मसाफ़त हो रही थी
रवाना भी नहीं था और हिजरत हो रही थी
- फ़ज़्ल गीलानी
हर-नफ़स को अपनी मंज़िल का पता मिलता नहीं
जो जहाँ ठहराव हैं इक कारवाँ बनता गया
- कलीम अहमदाबादी
मिरे ठहराव को कुछ और भी वुसअत दी जाए
अब मुझे ख़ुद से निकलने की इजाज़त दी जाए
- सालिम सलीम
गुज़रते वक़्त की कोई निशानी साथ रखता हूँ
कि मैं ठहराव में भी इक रवानी साथ रखता हूँ
- आफ़ताब हुसैन