सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Digital Review | Trailer Of Hotstar Special Ops Second Trailer

 Digital Review | Trailer Of Hotstar Special Ops Second Trailer
 Digital Review

Special Ops Trailer: दूसरे ट्रेलर में नीरज ने साफ की कहानी की धुंध, स्पेशल ऑप्स का काउंटडाउन शुरू


सार
डिजिटल रिव्यू: स्पेशल ऑप्स (ट्रेलर 2)
कलाकार: के के मेनन, करण टैकर, माहेर विज, मुजम्मिल इब्राहिम, विपुल गुप्ता, सज्जाद और परमीत सेठी
निर्देशक: नीरज पांडे और शिवन नायर
यूट्यूब चैनल: फ्राइडे स्टोरीटेलर्स
रेटिंग: ***1/2


Trailer Of Hotstar
विस्तार
कोरोना के माहौल में घर बैठ चुके लोगों के लिए हॉटस्टार पर मंगलवार को रिलीज होने जा रही वेब सीरीज स्पेशल ऑप्स नया सरप्राइज दे सकती है। सीरीज का पहला ट्रेलर भले उतना आकर्षक न बन पाया हो लेकिन इसके सोमवार को रिलीज हुए दूसरे ट्रेलर ने कहानी का धुंधलका साफ कर दिया है। सीरीज को देखने की उत्सुकुता इस ट्रेलर को देखने के बाद बढ़ती है।


ट्रेलर में हिम्मत सिंह बने के के मेनन किसी जांच समिति के सामने दिखते हैं जो उनके गुप्त अभियानों पर हुए खर्च का हिसाब मांगती दिखती है। उनके चेहरे पर शरारती मुस्कान है जो बताती है ये बंदा जो भी है उसे दुनियादारी का फर्क नहीं पड़ता। उसका मिशन ही उसका जीवन है। मिशन का खुलासे के तौर पर सामने ये आता है कि दिल्ली में संसद भवन पर हुए हमले में शामिल वह किसी छठे आतंकवादी की तलाश में है, जिसके वजूद को सारी दूसरी सरकारी एजेंसियां नकार चुकी हैं।


Special Ops Second
सामने आती है हिम्मत सिंह की चुन चुनकर तैयार की हुई युवा एजेंटों की एक टोली, जिसका लीडर फारुख समझ आता है। फारुख का किरदार कर रहे करण टैकर के कुछ प्रभावशाली सीन इस ट्रेलर की जान हैं। इसके अलावा अविनाश बने मुजम्मिल इब्राहिम, बाला बने विपुल गुप्ता, रुहानी बनीं मेहेर विज और जूही बनीं सैयामि खेर सब इस ट्रेलर में अपने किरदार और अपने विस्तार को थोड़ा और स्पष्ट करते नजर आते हैं। ट्रेलर की एडीटिंग शानदार है और नीरज पांडे की फिल्मों ए वेडनेस डे, स्पेशल 26 और बेबी की याद दिलाती हैं। इस सीरीज के सारे एपीसोड ओटीटी हॉट स्टार पर मंगलवार से उपलब्ध हो जाएंगे।



Click me

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं. ...

आज के टॉप 4 शेर (friday feeling best 4 sher collection)

आज के टॉप 4 शेर ऐ हिंदूओ मुसलमां आपस में इन दिनों तुम नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ - लाल चन्द फ़लक मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा - अल्लामा इक़बाल उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे - जिगर मुरादाबादी हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी - अहमद फ़राज़ साहिर लुधियानवी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कैफ़ी आज़मी इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद बशीर बद्र दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों वसीम बरेलवी आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी मीर तक़ी मीर बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो - मीर तक़ी...

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे...