वंदना अग्रवाल
जरूरत नहीं मुझे ,तुम्हारे
किसी उपहार की ,
जरूरत है तो सिर्फ साथ ।
और प्यार की
तुम समझते हो उपहार देकर
प्रसन्ना कर देते हो हमें ,
पर कभी - कभी कटु शब्दों से
जख्मी कर देते हो हमें ।
बुरा नहीं चाहती किसी
का , कैसे बताऊ ,
चाहती हूं तुम्हें , कैसे जताऊ ।
संभव होला तो कष्ट तेरे ले लेती ,
जो चाहते वह दे देती ।
मांगती हूं ईश्वर से
बना रहे संग तुम्हारा ,
जख्म न मिले कोई भी दुबारा ।
जीवन का यह सफर
बस साथ तेरे कट जाए ,
हर लम्हा तेरे पास
यूं ही गुजर जाए ।
एक शायरी आपके लिए
मेरे दिल का तेरे दिल से कोई तो खास रिश्ता है
उधर तुम याद करते हो , इधर यह भी मचलता है ।
मेरी दीवानगी है या मोहब्बत यह कहूं किससे ,
नजर छत पर नआओ तुम , तो दिन मुश्किल से कटता है ।
जरूरत नहीं मुझे ,तुम्हारे
किसी उपहार की ,
जरूरत है तो सिर्फ साथ ।
और प्यार की
तुम समझते हो उपहार देकर
प्रसन्ना कर देते हो हमें ,
पर कभी - कभी कटु शब्दों से
जख्मी कर देते हो हमें ।
बुरा नहीं चाहती किसी
का , कैसे बताऊ ,
चाहती हूं तुम्हें , कैसे जताऊ ।
संभव होला तो कष्ट तेरे ले लेती ,
जो चाहते वह दे देती ।
मांगती हूं ईश्वर से
बना रहे संग तुम्हारा ,
जख्म न मिले कोई भी दुबारा ।
जीवन का यह सफर
बस साथ तेरे कट जाए ,
हर लम्हा तेरे पास
यूं ही गुजर जाए ।
एक शायरी आपके लिए
मेरे दिल का तेरे दिल से कोई तो खास रिश्ता है
उधर तुम याद करते हो , इधर यह भी मचलता है ।
मेरी दीवानगी है या मोहब्बत यह कहूं किससे ,
नजर छत पर नआओ तुम , तो दिन मुश्किल से कटता है ।