Famous Shayari Collection On World Labour Day 2020: 'मज़दूरों' के लिए शायरों की कलम से निकले ऐसे शेर.
'मज़दूरों' के लिए शायरों की कलम से निकले ऐसे शेर. |
बुलाते हैं हमें मेहनत-कशों के हाथ के छाले
चलो मुहताज के मुँह में निवाला रख दिया जाए
- रज़ा मौरान्वी
अगर इस जहां में मजदूर का नामोंनिशां न होता
फिर न होता हवामहल और नही ताजमहल होता
साधन नहीं है कोई भी, भरने हैं कई पेट
इक टोकरी है, सर है कि मज़दूर दिवस है
-ओम प्रकाश यती
सो जाता है फुटपाथ पे अख़बार बिछाकर,
मजदूर कभी नींद की गोली नहीं खाता
-मुनव्वर राना
मिल मालिक के कुत्ते भी चर्बीले हैं,
लेकिन मजदूरों के चेहरे पीले हैं
- तनवीर सिप्रा
आने वाले जाने वाले के लिए,
आदमी मजदूर हैं राहें बनाने के लिए
- हफ़ीज जालंधरी
ये बात ज़माना याद रखे मज़दूर हैं हम मजबूर नहीं I
ये भूख ग़रीबी बदहाली हरगिज़ हमको मँज़ूर नहीं ।।
-कांतिमोहन 'सोज़'
कुचल कुचल के न फ़ुटपाथ को चलो इतना
यहाँ पे रात को मज़दूर ख़्वाब देखते हैं
- अहमद सलमान
बेचता यूं ही नहीं है आदमी ईमान को,
भूख ले जाती है ऐसे मोड़ पर इंसान को ।
-अदम गोण्डवी
तू क़ादिर ओ आदिल है मगर तेरे जहाँ में
हैं तल्ख़ बहुत बंदा-ए-मज़दूर के औक़ात
- अल्लामा इक़बाल
होने दो चराग़ाँ महलों में क्या हम को अगर दीवाली है
मज़दूर हैं हम मज़दूर हैं हम मज़दूर की दुनिया काली है
-जमील मज़हरी
लोगों ने आराम किया और छुट्टी पूरी की
यकुम मई को भी मज़दूरों ने मज़दूरी की
- अफ़ज़ल ख़ान
नींद आएगी भला कैसे उसे शाम के बा'द
रोटियाँ भी न मयस्सर हों जिसे काम के बा'द
-अज़हर इक़बाल
अब उन की ख़्वाब-गाहों में कोई आवाज़ मत करना
बहुत थक-हार कर फ़ुटपाथ पर मज़दूर सोए हैं
-नफ़स अम्बालवी
मेहनत कर के हम तो आख़िर भूके भी सो जाएँगे
या मौला तू बरकत रखना बच्चों की गुड़-धानी में
- विलास पंडित मुसाफ़िर
शहर में मज़दूर जैसा दर-ब-दर कोई नहीं
जिस ने सब के घर बनाए उस का घर कोई नहीं
- अज्ञात