Shayari Collection On Lockdown |
अगर लॉकडाउन में होते ये शायर तो क्या शेर कहते
हो न मायूस ख़ुदा से 'बिस्मिल'
ये बुरे दिन भी गुज़र जाएंगे
- बिस्मिल अज़ीमाबादी
कितने लोगों से मिलना-जुलना था
ख़ुद से मिलना भी अब मुहाल हुआ
- मनीश शुक्ला
Lockdown shayari,
ज़माने से घबरा के सिमटे थे ख़ुद में
मगर अब तो ख़ुद से भी उकता रहे हैं
- मनीश शुक्ला
ख़ुदा से लोग भी ख़ाइफ़ कभी थे
मगर लोगों से अब ख़ाइफ़ ख़ुदा है
- नरेश कुमार शाद
लॉकडाउन शायरी,
ये सब तो दुनिया में होता रहता है
हम ख़ुद से बे-कार उलझने लगते हैं
- भारत भूषण पन्त
'मीर' बंदों से काम कब निकला
माँगना है जो कुछ ख़ुदा से माँग
- मीर तक़ी मीर
motivational shayari
ऐसा हुआ कि घर से न निकला तमाम दिन
जैसे कि ख़ुद से आज कोई काम था मुझे
- बिमल कृष्ण अश्क
अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ
ख़ुद से मिलना मिरा इक शख़्स के खोने से हुआ
- मुसव्विर सब्ज़वारी
मैं आज ख़ुद से मुलाक़ात करने वाला हूँ
जहाँ में कोई भी मेरे सिवा न रह जाए
- अंजुम सलीमी
ज़माना हो गया ख़ुद से मुझे लड़ते-झगड़ते
मैं अपने आप से अब सुल्ह करना चाहता हूँ
- इफ़्तिख़ार आरिफ़
आज के टॉप 4 शेर
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
- मुनव्वर राना
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी संभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
- उबैदुल्लाह अलीम
इतना भी ना-उमीद दिल-ए-कम-नज़र न हो
मुमकिन नहीं कि शाम-ए-अलम की सहर न हो
- नरेश कुमार शाद