शार्ट कहानी झगड़े के वॉरियर्स |
सुबह उठकर उसने बिना पेस्ट के ही मुंह धोया , फिर स्वास्थ्य विभाग की हिदायतों के अनुसार हाथ । इन दिनों वह अल्कोहल के लिए तरस रहा है ।
सैनिटाइजर में वह थोड़ा - बहुत मौजूद है , यही सोचकर वह बार - बार हाथ धोता है ! उसने एक दोस्त को फोन मिलाया , " हैलो ! क्या हो रहा है " ।
अरविंद तिवारी
उधर से जवाब आया , " यार अभी और सोऊंगा " । पर चूंकि वह झगड़े कराने का वॉरियर है , इसलिए उसकी जिम्मेदारी बड़ी है । उसने कहा , “ जाग जा भाई , जाग जा ! स्वरुप ने तेरे खिलाफ ढाई घर की चाल चल दी है " । कल ही दोस्त को सूचना मिली थी कि स्वरूप ने किसी साहित्यिक पत्रिका के नए अंक में उसका चरित्र हनन किया है ।
यह सूचना झगड़े के वॉरियर ने ही उसे उपलब्ध करवाई थी । वॉरियर ने सूद साहब को फोन मिलाया और कहा , “ सर ! सक्सेना बता रहा था कि आपको जोरदार जुकाम है और अब हमारा मोहल्ला सूद साहब के सौजन्य से रेड जोन में बदलने वाला है " । सूद साहब ने मौलिक गालियों के साथ सक्सेना को फोन मिलाया । वॉरियर की आत्मा तृप्त हुई । इसके बाद उस झगड़ा वॉरियर ने राज्य स्तरीय अखबार के संपादक को फोन मिलाया - “ सर ! इन दिनों व्यंग्यकार ' धमाका ' आपकी बुराई से बाज नहीं आ रहा । आपने उसकी दो रचनाएं क्या अस्वीकृत कर दी वह तो यत्र - तत्र आपके चरित्र हनन पर उतर आया है । आप उसके खिलाफ मानहानि ठोंक दें । एक नोटिस में टें बोल जाएगा " ।
संपादक जानता था कि इस फोन करने वाले के जबड़े में दो गोली ठोंकी जा सकती हैं , पर उसके लिए फोन उचित नहीं है । झगड़े कराने वाले वारियर्स पर लॉकडॉउन का कुछ फर्क इसलिए नहीं पड़ा , क्योंकि वे देश सेवा हमेशा फोन के जरिए ही करते आए हैं । एक दिन लॉकडॉउन हट गया ! वॉरियर मित्रों से मिलने पहुंचा । पर फूलमालाओं से स्वागत करने के स्थान पर मित्र उसे थाली की तरह पीटने लगे । झगड़े कराने वालों का जैसे स्वागत होना चाहिए था , वैसा हो रहा था । उधर पूरा देश कोरोना वॉरियर्स का स्वागत कर रहा था ।