'हादसों' पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़ - Hadsa shayari collection
ज़िंदगी इक हादसा है और कैसा हादसा
मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं
- जिगर मुरादाबादी
घर में सामां तो हो दिलचस्पी का
हादसा कोई उठा ले जाऊं
- मोहम्मद अल्वी
मिरा वजूद ओ अदम भी इक हादसा नया है
मैं दफ़्न हूं कहीं कहीं से निकल रहा हूं
- ख़लील मामून
किसे ख़बर थी कि ये वाक़िआ भी होना था
कि खेल खेल में इक हादसा भी होना था
- अज्ञात
थोड़ी सी अक़्ल लाए थे हम भी मगर 'अदम'
दुनिया के हादसात ने दीवाना कर दिया
- अब्दुल हमीद अदम
दुनिया-ए-हादसात है इक दर्दनाक गीत
दुनिया-ए-हादसात से घबरा के पी गया
- साग़र सिद्दीक़ी
मुझ सा अंजान किसी मोड़ पे खो सकता है
हादसा कोई भी इस शहर में हो सकता है
- तहसीन फ़िराक़ी
इंसान हादसात से कितना क़रीब है
तू भी ज़रा निकल के कभी अपने घर से देख
- आजिज़ मातवी
ये कैसा हादसा गुज़रा ये कैसा सानेहा बीता
न आंगन है न छत बाक़ी न हैं दीवार-ओ-दर बाक़ी
- सज्जाद शम्सी
यहां हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है
खिलौना है जो मिट्टी का फ़ना होने से डरता है
- राजेश रेड्डी