सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Musafir Famous Shayari Hindi | Rasta Famous Shayari Collection - Hindi Shayari H


Musafir Famous Shayari Hindi - Hindi Shayari H






चलता रहूँगा मै पथ पर, चलने में माहिर बन जाउंगा,
या तो मंज़िल मिल जायेगी, या मुसाफिर बन जाउंगा !
~अज्ञात 



ज़रा रहने दो अपने दर पे हम ख़ाना-ब-दोशों को 
मुसाफ़िर जिस जगह आराम पाते हैं ठहरते हैं 
~लाला माधव राम जौहर



मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
~बशीर बद्र




कुछ टूटे फटे सीने को साथ अपने सफ़र में 
क्या वो भी मुसाफ़िर जो न रक्खे सुई तागा 
~मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी



है कोई जो बताए शब के मुसाफ़िरों को 
कितना सफ़र हुआ है कितना सफ़र रहा है 
~शहरयार


दिन में परियों की कोई कहानी न सुन 
जंगलों में मुसाफ़िर भटक जाएँगे 
~बशीर बद्र



ऐ अदम के मुसाफ़िरों होशियार 
राह में ज़िंदगी खड़ी होगी 
~साग़र सिद्दीक़ी



मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर हर तरफ़ हैं
मगर हर शख़्स तन्हा जा रहा है
~अहमद नदीम क़ासमी

कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं 
कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की 
~बशीर बद्र



गुजर जाते हैं खूबसूरत लम्हें यूँ ही मुसाफ़िरों की तरह,
यादें वहीं खड़ी रह जाती हैं, रुके रास्तों की तरह
~अज्ञात 


Rasta Famous Shayari Collection




'रास्तों' पर कहे गए 10 बेहतरीन शेर...
 
 
तू कभी इस शहर से हो कर गुज़र 
रास्तों के जाल में उलझा हूँ मैं 
- आशुफ़्ता चंगेज़ी

क्यूँ चलते चलते रुक गए वीरान रास्तो 
तन्हा हूँ आज मैं ज़रा घर तक तो साथ दो 
- आदिल मंसूरी

तेरा अपना रास्ता था मेरा अपना रास्ता
इस पे भी ऐ ज़िंदगी तुझ को बसर मैं ने किया
- सिद्दीक़ शाहिद




वो क्या मंज़िल जहाँ से रास्ते आगे निकल जाएँ 
सो अब फिर इक सफ़र का सिलसिला करना पड़ेगा 
- इफ़्तिख़ार आरिफ़

सफ़र का एक नया सिलसिला बनाना है 
अब आसमान तलक रास्ता बनाना है 
- शहबाज़ ख़्वाजा


कटी हुई है ज़मीं कोह से समुंदर तक 
मिला है घाव ये दरिया को रास्ता दे कर 
- अदीम हाशमी

न साथी है न मंज़िल का पता है
मोहब्बत रास्ता ही रास्ता है
- असद भोपाली



सोचते रहने से तो मंज़िल कभी मिलती नहीं
चलते जाओ रास्ते से रास्ता मिल जाएगा
- बाक़ी अहमदपुरी

दिलचस्प हो गई तिरे चलने से रहगुज़र 
उठ उठ के गर्द-ए-राह लिपटती है राह से 
- जलील मानिकपूरी


रास्ते कहां ख़त्म होते हैं ज़िंदग़ी के सफ़र में,
मंज़िल तो वहां है जहां ख्वाहिशें थम जाएं।
-अज्ञात 

मैं ख़ुद ही अपने तआक़ुब में फिर रहा हूँ अभी 
उठा के तू मेरी राहों से रास्ता ले जा 
- लुत्फ़ुर्रहमान


उस की और मंज़िल है मेरी और मंज़िल है
शैख़ से 'फ़िगार' अपना रास्ता नहीं मिलता
-फ़िगार उन्नावी

फ़ासले ही फ़ासले थे मंज़िलें ही मंज़िलें
हम-सफ़र कोई न था और रहनुमा कोई न था
-अज्ञात 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं. ...

आज के टॉप 4 शेर (friday feeling best 4 sher collection)

आज के टॉप 4 शेर ऐ हिंदूओ मुसलमां आपस में इन दिनों तुम नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ - लाल चन्द फ़लक मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा - अल्लामा इक़बाल उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे - जिगर मुरादाबादी हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी - अहमद फ़राज़ साहिर लुधियानवी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कैफ़ी आज़मी इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद बशीर बद्र दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों वसीम बरेलवी आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी मीर तक़ी मीर बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो - मीर तक़ी...

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे...