Shayari Collection Jungle 'जं-गल' पर शायरों के चुनिंदा अल्फ़ाज़
पहले भी इस जंगल से
एक बार मैं गुज़रा था
- मोहम्मद अल्वी
इस घर की वीरानी का
जंगल जैसा हुलिया है
- बिल्क़ीस ख़ान
सहरा जंगल सागर पर्बत
इन से ही रस्ता मिलता है
- ग़ुलाम मुर्तज़ा राही
ख़्वाहिश के चंगुल से आगे
हैरत के जंगल को देखा
- इमरान शमशाद
आगे आगे चलो तबर वालो
अभी जंगल बहुत घनेरा है
- हफ़ीज़ जालंधरी
आप किस पेड़ को बचाएँगे
जल रहा है तमाम ही जंगल
- महमूद इश्क़ी
हमला है चार सू दर-ओ-दीवार-ए-शहर का
सब जंगलों को शहर के अंदर समेट लो
- जौन एलिया
आज शहरों में हैं जितने ख़तरे
जंगलों में भी कहाँ थे पहले
- अज़हर इनायती
यूं ही तो नहीं दश्त में पहुंचे यूं ही तो नहीं जोग लिया
बस्ती बस्ती काँटे देखे जंगल जंगल फूल मियाँ
- इब्न-ए-इंशा
मिरे बदन में खुले जंगलों की मिट्टी है
मुझे सँभाल के रखना बिखर न जाऊँ में
- निदा फ़ाज़ली
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