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Munawwar Rana Shayari Munawwar Rana Gajal मुनव्वर राना शायरी व पॉलिटिक्स

 
मुनव्वर राना शायरी व पॉलिटिक्स
Munawwar Rana Shayari


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आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए


ज़िंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें

टूटा-फूटा ही सही घर-बार होना चाहिए
बरसों से इस मकान में रहते हैं चंद लोग

बरसों से इस मकान में रहते हैं चंद लोग
इक दूसरे के साथ वफ़ा के बग़ैर भी



एक क़िस्से की तरह वो तो मुझे भूल गया

इक कहानी की तरह वो है मगर याद मुझे
भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है

भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है


ताज़ा ग़ज़ल ज़रूरी है महफ़िल के वास्ते

सुनता नहीं है कोई दोबारा सुनी हुई
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं

हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं



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अँधेरे और उजाले की कहानी सिर्फ़ इतनी है

जहाँ महबूब रहता है वहीं महताब रहता है
कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा

कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा
तुम्हारे बाद किसी की तरफ़ नहीं देखा


किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई

मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
मैं इस से पहले कि बिखरूँ इधर उधर हो जाऊँ

मैं इस से पहले कि बिखरूँ इधर उधर हो जाऊँ
मुझे सँभाल ले मुमकिन है दर-ब-दर हो जाऊँ


मसर्रतों के ख़ज़ाने ही कम निकलते हैं

किसी भी सीने को खोलो तो ग़म निकलते हैं
मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता

मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता
अब इस से ज़यादा मैं तेरा हो नहीं सकता


मुख़्तसर होते हुए भी ज़िंदगी बढ़ जाएगी

माँ की आँखें चूम लीजे रौशनी बढ़ जाएगी
वो बिछड़ कर भी कहाँ मुझ से जुदा होता है

वो बिछड़ कर भी कहाँ मुझ से जुदा होता है
रेत पर ओस से इक नाम लिखा होता है


मैं भुलाना भी नहीं चाहता इस को लेकिन

मुस्तक़िल ज़ख़्म का रहना भी बुरा होता है
तेरे एहसास की ईंटें लगी हैं इस इमारत में

तेरे एहसास की ईंटें लगी हैं इस इमारत में
हमारा घर तेरे घर से कभी ऊँचा नहीं होगा


ये हिज्र का रस्ता है ढलानें नहीं होतीं


सहरा में चराग़ों की दुकानें नहीं होतीं
ये सर-बुलंद होते ही शाने से कट गया

ये सर-बुलंद होते ही शाने से कट गया
मैं मोहतरम हुआ तो ज़माने से कट गया


उस पेड़ से किसी को शिकायत न थी मगर
ये पेड़ सिर्फ़ बीच में आने से कट गया


वर्ना वही उजाड़ हवेली सी ज़िंदगी
तुम आ गए तो वक़्त ठिकाने से कट गया








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