शौक़ बहराइची के चुनिंदा शेरो शायरी
मैं ने यूं दिल को बनाया आईना
आईना-गर को भी हैरत हो गई
तुझे अपने और पराए का नहीं कुछ शुऊर अभी तलक
मिरे जां-निसारों की लिस्ट में ज़रा देख तेरा भी नाम है
Shauq bahraichi sher,
बैठा हुआ सिक्का है मिरी फ़िक्र-ए-सुख़न का
ऐ 'शौक़' न हों क्यूं मिरे अशआर रजिस्टर्ड
वाइज़ ये गुलिस्ताँ ये बहारें ये घटाएं
साग़र कोई ऐसे में खनक जाए तो क्या हो
जिस के हामी हो गए वाइ'ज़ वो बाज़ी ले गया
अहमियत है आप की दुनिया में जोकर की तरह
शौक़ बहराइची शायरी,
किस तरह जाता कोई मंज़िल-ए-मक़्सद की तरफ़
कोई यक्का कोई तांगा कोई रिक्शा न मिला
इक वो ज़ालिम ही नहीं मुझ पे जफ़ा करता है
आसमां भी इसी चक्कर में रहा करता है
shauq bahraichi best shar,
जब भी वो बैठते हैं लिखने को इक़रार-ए-वफ़ा
गांव भर में कहीं मिलता नहीं पुर्ज़ा काग़ज़
अब ख़ुदा के लिए रख हम पे करम ऐ नासेह
हैं परेशां तिरी बकवास से हम ऐ नासेह
शौक़ बहराइची के शेर,
हज़ारों चाहने वाले हैं उन के
कम उन की आज कल इन्कम नहीं है