Top Hindi Aaina Shayari Collection In Hindi.
आईना शायरी कुछ लाइन - कहते हैं लोग की आईना सच बोलता हैं, वही दिखाता हैं जो होता हैं, क्युकी आईना झूठ नहीं सच बोलता हैं.. अगर इश्क में हारे हुए आशिक से पूछो आईना क्या होता हैं? उसका एक ही जवाब होता हैं आईना और दिल एक समान होता हैं, जिसकी ज़िन्दगी में बस टूट के बिखर जाना ही लिखा होता हैं.
Top Hindi Aaina Shayari Collection In Hindi - आईना शायरी 2 लाइन
आईना भी तुम्हे देख आहे भरता होगा,
इतना भी खुद को निहारा ना कीजिये
आइना कोई ऐसा बना दे, ऐ खुदा जो....
इंसान का चेहरा नहीं, किरदार दिखा दे....
कोई भूला हुआ चेहरा नज़र आए शायद
आईना ग़ौर से तू ने कभी देखा ही नहीं
एक ऐसा भी वक़्त होता है
मुस्कुराहट भी आह होती है
इतना भी खुद को निहारा ना कीजिये
आइना कोई ऐसा बना दे, ऐ खुदा जो....
इंसान का चेहरा नहीं, किरदार दिखा दे....
कोई भूला हुआ चेहरा नज़र आए शायद
आईना ग़ौर से तू ने कभी देखा ही नहीं
एक ऐसा भी वक़्त होता है
मुस्कुराहट भी आह होती है
आईना जब भी उठाया करो पहले देखो फिर दिखाया करो
अभी वो आंख भी सोई नहीं है
अभी वो ख़्वाब भी जागा हुआ है
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है
आईने में दिखता है टूटा सा अक्स अपना,
जख्मों की चोट खाकर यूं चटक सा गया हूं..
अब कैसे संभालू मैं अपने टूटे दिल के टुकड़े को,
अपने ही दिल के आईने में देखो बिखर सा गया हूं..
शीशे का घर शायरी
मैं आईना हूँ टूटना मेरी फितरत है,
इसलिए पत्थरों से मुझे कोई गिला नहीं,
मेरी किस्मत में तो कुछ यु लिखा हैं.
किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया,
किसी ने अपना बना कर वक़्त गुज़ार लिया.
आइना और दिल का एक ही फ़साना हैं
आखिरी अंजाम दोनों का टूट कर बिखर जाना हैं...
.
आईना देख के बोले ये सँवरने वाले
अब तो बे-मौत मरेंगे मेरे मरने वाले
आईना शायरी कलेक्शन
आईना हूं तेरा, क्यूं इतना कतरा रहे हो.
सच ही कहूंगा, क्यूं इतना घबरा रहे हो.....
प्यार अपने पे जो आता है तो क्या करते हैं
आईना देख के मुँह चूम लिया करते हैं
अहमद हुसैन माइल
Top 50 Aaina Shayari Collection In Hindi
कसूर निगाहों का नहीं आईने का था,
जो चुपके से उनका दीदार आईने में कर लिया...
۞
शिक़ायत है, मुझे आईने से तुम्हारे।
तुम मुझसे मिलने आती हो,
उससे मिलने के बाद।।
आज टूट गया तो बचकर निकलते है।
कल आईना था तो रुक-रुक कर देखते थे।।
घर का आईना भी अब हक जता रहा है।
खुद तो वैसा ही है पर मेरी उम्र बता रहा है।।
आईने को भी खूबसूरत बना देगी।
तुम्हारे चेहरे की मुस्कान।।
मुझे जरुरत नहीं किसी आईने की अब।
क्यूँकि मेरा मेहबूब कहता है क़ि तुम बहुत खूबसूरत हो।।
۞
उनकी आंखों के आईने में जब-जब
देखी अपनी छाया।
हमनें खुद को पूरी कायनात में
सबसे ज्यादा खूबसूरत पाया।।
۞
मै तो फना हो गया उसकी एक झलक देखकर।
ना जाने हर रोज़ आईने पर क्या गुजरती होगी।।
۞
और भी खुबसूरत लगने लगती हूँ।
जब आईने मे नहीं खुद को, तुम्हारी आंखों मे देख लेती हूँ।।
۞
ये लकीरें ये नसीब ये किस्मत सब फरेब के आईने हैं।
हाथों में तेरा हाथ होने से ही मुकम्मल जिंदगी के मायने हैं।।
۞
आईने में जब भी देखता हूँ तो
एक छोटी सी स्माइल आ जाती है।
क्यूंकि मुस्कुराने की वजह तुम हो।।
۞
आईने भी तुझे कम पसंद करते है।
क्योकि उसे भी पता कि तुझे हम पसंद करते है।।
۞
किरदार देख देखकर आईना भी गया है थक।
शख्स कोई तो हो हूबहू जिसका अक्स हो।।
۞
साहब वक़्त का आईना वहीं होता है एक जैसा।
बस उस आईने में किरदार बदलते रहते हैं।।
۞
किरदार मेरे का आईना तुम हो।
मिलोगे मुझसे तो मिलोगे खुद से।।
۞
ख़ुद मिरी आँखों से ओझल मेरी हस्ती हो गई,
आईना तो साफ़ है तस्वीर धुँदली हो गई।
साँस लेता हूँ तो चुभती हैं बदन में हड्डियाँ,
रूह भी शायद मिरी अब मुझ से बाग़ी हो गई।।
۞
मैं जानता हूँ फिर भी पूछता हूँ ।
तुम आईना देख कर बताओ मेरी पसंद कैसी है❓
दोस्ती या दुश्मनी, नहीं निभाता है आईना।
जो उसके सामने है, वही दिखाता है आईना।।
۞
आईना भी देखे तो देखता रहे तुम्हे।
खूबसूरती की वो मिसाल हो तुम।।
अपने इमान की हिफाजत खुद से हैं मुकमल।
रूह के मुआयने के लिए....कोई आईना नहीं होता।।
۞
हम आईना हैं आईना ही रहेंगे, फ़िक्र वो करें।
जिनकी शक्लो में कुछ और, दिल में कुछ और है।।
۞
मेरे वजूद में ऐ काश तू उतर जाए,
मैं देखूं आईना और तू नजर आए।
तू हो सामने और वक्त ठहर जाए,
ये जिंदगी तूझे यूं ही देखते हुए गुजर जाए।।
۞
छेड़ मत हर दम न आईना दिखा ।
अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम।।
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
۞
बार बार आईना पोंछा मगर हर तस्वीर धुंधली थी।
न जाने आईने पर ओस थी या हमारी आँखें गीली थीं।।
۞
आईना नज़र लगाना चाहे भी तो कैसे लगाए।
काजल लगाती है वो आईने में देखकर।।
۞
क्या करेंगे हम दिखावे से भरी दुनिया में,
यहाँ तो आईना भी फितरत से जुदा लगता है।
हमने शामिल किया जब दिल को अपने साथ कहीं,
अपना चेहरा भी बड़ा अजनबी सा लगता है।।
۞
हमारी तडप तो कुछ भी नही है हुजुर सुना है।
आपके दीदार के लिऐ तो आईना भी इंतजार करता है।।
۞
आईना लेके जो भी आए हैं, हम भी उनका जमीर देखेंगे।
सब हैं तन्हा, सभी में खालीपन, आप किस किस की पीर देखेंगे।।
۞
जब शक्ल कोई तन्हा कमरे में सँवरती है।
आईना ही जाने क्या उस पर गुजरती है।।
۞
सब अपनी गरज़ के यार है तू दोस्ती की बात न कर।
वक्त बड़ा बेरहम है ये तुझे भी आईना दिखाएगा।।
۞
आईना कभी क़ाबिल-ए-दीदार न होवे।
गर ख़ाक के साथ उस को सरोकार न होवे।।
۞
झूटा है झूट बात ये बोलेगा आईना।
आओ हमारे सामने हम सच बताएँगे।।
जुनैद अख़्तर
۞
अपने इमान की हिफाजत खुद से हैं मुकमल।
रूह के मुआयने के लिए कोई आईना नहीं होता।।
आईना आज फिर रिशवत लेता पकडा गया।
दिल में दर्द था ओर चेहरा हंसता हुआ पकडा गया।।
ख़ुद मिरी आँखों से ओझल मेरी हस्ती हो गई,
आईना तो साफ़ है तस्वीर धुँदली हो गई।
साँस लेता हूँ तो चुभती हैं बदन में हड्डियाँ,
रूह भी शायद मिरी अब मुझ से बाग़ी हो गई।।
۞
मैं जानता हूँ फिर भी पूछता हूँ ।
तुम आईना देख कर बताओ मेरी पसंद कैसी है❓
दोस्ती या दुश्मनी, नहीं निभाता है आईना।
जो उसके सामने है, वही दिखाता है आईना।।
۞
आईना भी देखे तो देखता रहे तुम्हे।
खूबसूरती की वो मिसाल हो तुम।।
अपने इमान की हिफाजत खुद से हैं मुकमल।
रूह के मुआयने के लिए....कोई आईना नहीं होता।।
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हम आईना हैं आईना ही रहेंगे, फ़िक्र वो करें।
जिनकी शक्लो में कुछ और, दिल में कुछ और है।।
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मेरे वजूद में ऐ काश तू उतर जाए,
मैं देखूं आईना और तू नजर आए।
तू हो सामने और वक्त ठहर जाए,
ये जिंदगी तूझे यूं ही देखते हुए गुजर जाए।।
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छेड़ मत हर दम न आईना दिखा ।
अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम।।
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
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बार बार आईना पोंछा मगर हर तस्वीर धुंधली थी।
न जाने आईने पर ओस थी या हमारी आँखें गीली थीं।।
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आईना नज़र लगाना चाहे भी तो कैसे लगाए।
काजल लगाती है वो आईने में देखकर।।
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क्या करेंगे हम दिखावे से भरी दुनिया में,
यहाँ तो आईना भी फितरत से जुदा लगता है।
हमने शामिल किया जब दिल को अपने साथ कहीं,
अपना चेहरा भी बड़ा अजनबी सा लगता है।।
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हमारी तडप तो कुछ भी नही है हुजुर सुना है।
आपके दीदार के लिऐ तो आईना भी इंतजार करता है।।
۞
आईना लेके जो भी आए हैं, हम भी उनका जमीर देखेंगे।
सब हैं तन्हा, सभी में खालीपन, आप किस किस की पीर देखेंगे।।
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जब शक्ल कोई तन्हा कमरे में सँवरती है।
आईना ही जाने क्या उस पर गुजरती है।।
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सब अपनी गरज़ के यार है तू दोस्ती की बात न कर।
वक्त बड़ा बेरहम है ये तुझे भी आईना दिखाएगा।।
۞
आईना कभी क़ाबिल-ए-दीदार न होवे।
गर ख़ाक के साथ उस को सरोकार न होवे।।
۞
झूटा है झूट बात ये बोलेगा आईना।
आओ हमारे सामने हम सच बताएँगे।।
जुनैद अख़्तर
۞
अपने इमान की हिफाजत खुद से हैं मुकमल।
रूह के मुआयने के लिए कोई आईना नहीं होता।।
आईना आज फिर रिशवत लेता पकडा गया।
दिल में दर्द था ओर चेहरा हंसता हुआ पकडा गया।।