Haalat sher |
Waqt or Halat Shayari Mushkil Halat Quotes बेस्ट हालात पर शायरी
जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़
हालात कर रहे हैं हालात के मुताबिक़
- इफ़्तिख़ार राग़िब
यही हालात इब्तिदा से रहे
लोग हम से ख़फ़ा ख़फ़ा से रहे
- जावेद अख़्तर
हालात ने किसी से जुदा कर दिया मुझे
अब ज़िंदगी से ज़िंदगी महरूम हो गई
- असद भोपाली
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ
शीशे के महल बना रहा हूँ
- क़तील शिफ़ाई
इतने मायूस तो हालात नहीं
लोग किस वास्ते घबराए हैं
- जाँ निसार अख़्तर
सुब्ह कैसी है वहाँ शाम की रंगत क्या है
अब तिरे शहर में हालात की सूरत क्या है
- अज़हर अदीब
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
- साहिर लुधियानवी
ज़रा हालात क्या बदले हमारे
जो अपना था पराया हो रहा है
- नबील अहमद नबील
दिल और तरह के हालात से उलझता हुआ
कुछ और तरह के हालात से निकलता है
- ज़फ़र इक़बाल
हालात ने लिबास तो मेला किया मगर
किरदार फिर भी रक्खा है हम ने सँवार कर
- क़ैसर ख़ालिद
फर्क बहुत है तुम्हारी और हमारी तालीम में,
तुमने उस्तादों से सीखा है और हमने हालातों से।
ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री ‘ग़ालिब’
हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे
कहते है हर बात जुबां से हम इशारा नहीं करते,
आसमान पर चलने वाले जमीं से गुज़ारा नहीं करते,
हर हालात को बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गंवारा नहीं करते।
यह भी पढ़े Fashion
हालात कर रहे हैं हालात के मुताबिक़
- इफ़्तिख़ार राग़िब
यही हालात इब्तिदा से रहे
लोग हम से ख़फ़ा ख़फ़ा से रहे
- जावेद अख़्तर
हालात ने किसी से जुदा कर दिया मुझे
अब ज़िंदगी से ज़िंदगी महरूम हो गई
- असद भोपाली
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ
शीशे के महल बना रहा हूँ
- क़तील शिफ़ाई
इतने मायूस तो हालात नहीं
लोग किस वास्ते घबराए हैं
- जाँ निसार अख़्तर
सुब्ह कैसी है वहाँ शाम की रंगत क्या है
अब तिरे शहर में हालात की सूरत क्या है
- अज़हर अदीब
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
- साहिर लुधियानवी
ज़रा हालात क्या बदले हमारे
जो अपना था पराया हो रहा है
- नबील अहमद नबील
दिल और तरह के हालात से उलझता हुआ
कुछ और तरह के हालात से निकलता है
- ज़फ़र इक़बाल
हालात ने लिबास तो मेला किया मगर
किरदार फिर भी रक्खा है हम ने सँवार कर
- क़ैसर ख़ालिद
फर्क बहुत है तुम्हारी और हमारी तालीम में,
तुमने उस्तादों से सीखा है और हमने हालातों से।
ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री ‘ग़ालिब’
हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे
कहते है हर बात जुबां से हम इशारा नहीं करते,
आसमान पर चलने वाले जमीं से गुज़ारा नहीं करते,
हर हालात को बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गंवारा नहीं करते।
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