वे शेर जो 'महबूब' की 'मुहब्बत' में कह दिए गए |
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मुहब्बत में लोग अक्सर शायर बन जाते हैं और शायरों को मुहब्बत कमाल की होती है। इसलिए मुहब्बत पर लिखी शायरी मानो कयामत लाती हैं।
शाद तो क्या बर्बाद करोगे
लो दिल लो क्या याद करोगे
- असर लखनवी
लो दिल लो क्या याद करोगे
- असर लखनवी
फूल से आशिक़ी का हुनर सीख ले
तितलियां ख़ुद रुकेंगी सदायें न दे
- बशीर बद्र
ज़रा सी बात का इतना मलाल करते हो
शिकायतें भी वहीं हैं जहां मोहब्बत है
- बशीर बद्र
शायरों को मुहब्बत कमाल की होती है। |
ख़ुमार उनके घर जा रहे हो तो जाओ
मगर रास्ते में ज़माना पड़ेगा
- ख़मार बाराबंकवी
मगर रास्ते में ज़माना पड़ेगा
- ख़मार बाराबंकवी
नींद आए तो अचानक तेरी आहट सुन लूं
जाग उठूं तो बदन से तेरी ख़ुशबू आए
- शहज़ाद अहमद
कभी कहा न किसी से तेरे फ़साने को
न जाने कैसे ख़बर लग गई ज़माने को
- क़मर जलालवी
आपके बाद हर घड़ी हमने
आपके साथ गुज़ारी है
- गुलज़ार
मुहब्बत करने वाले कम न होंगे
तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे
- हफ़ीज़ होशियारपुरी
नहीं आती तो याद उनकी महीनों तक नहीं आती
मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं
- हसरत मोहानी
तेरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूं
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूं
- डॉ. इक़बाल