'संसार' पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़
'संसार' पर कहे शायरों के अल्फ़ाज़ |
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हर ख़ुदा जन्नतों में है महदूद
कोई संसार तक नहीं पहुंचा
- अजय सहाब
मैं जिन को अपना कहता हूं कब वो मिरे काम आते हैं
ये सारा संसार है सपना सब झूटे रिश्ते-नाते हैं
- आजिज़ मातवी
संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है
इक धुंध से आना है इक धुंध में जाना है
- साहिर लुधियानवी
सब है फ़ानी यहां संसार में किस का क्या है
फ़िक्र फिर भी है तुझे अपना पराया क्या है
- अजय सहाब
नाम सुनता हूं तिरा जब भरे संसार के बीच
लफ़्ज़ रुक जाते हैं आ कर मिरी गुफ़्तार के बीच
- अदील ज़ैदी
ये माना कि सपना है संसार लेकिन
ये सपनों का संसार कितना हसीं है
- हैरत गोंडवी
खाते हैं हम हचकोले इस पागल संसार के बीच
जैसे कोई टूटी कश्ती फंस जाए मंजधार के बीच
- सरस्वती सरन कैफ़
कौन वाक़िफ़ नहीं संसार के सच से लेकिन
सब का संसार की हर चीज़ पे मन डोलता है
- राजेश रेड्डी
गलियां हैं बहुत सी अभी दीवार के आगे
संसार मिलेंगे तुझे संसार के आगे
- क़ैसर ख़ालिद
यूं ही गले लगाएगा
ऐसा तो संसार नहीं
- दीपक शर्मा दीप