Salika shayari, salika shayari in hindi, तरीका
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कुछ बोल गुफ़्तुगू का सलीक़ा न भूल जाए
शीशे के घर में तुझ को भी रहना न भूल जाए
- किश्वर नाहीद
इस इब्तिदा की सलीक़े से इंतिहा करते
वो एक बार मिले थे तो फिर मिला करते
-अनवर मसूद
शीशे के घर में तुझ को भी रहना न भूल जाए
- किश्वर नाहीद
इस इब्तिदा की सलीक़े से इंतिहा करते
वो एक बार मिले थे तो फिर मिला करते
-अनवर मसूद
बात चाहे बे-सलीक़ा हो 'कलीम'
बात कहने का सलीक़ा चाहिए
- कलीम आजिज़
शर्त सलीक़ा है हर इक अम्र में
ऐब भी करने को हुनर चाहिए
-मीर तक़ी मीर
किसी दरख़्त से सीखो सलीक़ा जीने का
जो धूप छाँव से रिश्ता बनाए रहता है
- अतुल अजनबी
मिलने-जुलने का सलीक़ा है ज़रूरी वर्ना
आदमी चंद मुलाक़ातों में मर जाता है
- निदा फ़ाज़ली
रोने वाले तुझे रोने का सलीक़ा ही नहीं
अश्क पीने के लिए हैं कि बहाने के लिए
-आनंद नारायण मुल्ला
सलीक़ा बोलने का हो तो बोलो
नहीं तो चुप भली है लब न खोलो
-वक़ार मानवी
खुल के मिलने का सलीक़ा आप को आता नहीं
और मेरे पास कोई चोर दरवाज़ा नहीं
-वसीम बरेलवी
अपनी मिट्टी ही पे चलने का सलीक़ा सीखो
संग-ए-मरमर पे चलोगे तो फिसल जाओगे
-इक़बाल अज़ीम
वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े से
मैं ए'तिबार न करता तो और क्या करता
-वसीम बरेलवी
आँखों को देखने का सलीक़ा जब आ गया
कितने नक़ाब चेहरा-ए-असरार से उठे
- अकबर हैदराबादी
अपनी मिट्टी ही पे चलने का सलीक़ा सीखो
संग-ए-मरमर पे चलोगे तो फिसल जाओगे
- इक़बाल अज़ीम
हमें सलीक़ा न आया जहाँ में जीने का
कभी किया न कोई काम भी क़रीने का
- फ़ारिग़ बुख़ारी
है कुछ अगर सलीक़ा है कुछ अगर क़रीना
मरने की तरह मरना जीने की तरह जीना
- मुनव्वर लखनवी