सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Zaroorat Shayari Two Line Jarurat Mando Par shayari in hindi 'ज़रूरत' पर कहे गए शेर - Hindishayarih

 
Jarurat Mando Par shayari in hindi 'ज़रूरत' पर कहे गए शेर
Zarurat shayari


 
Zarurat shayari Zaroorat Shayari Two Line  Jarurat Mando Par shayari in hindi 'ज़रूरत' पर कहे गए शेर जरूरत शायरी  zarurat shayari 2 lines जरूरत शायरी इमेज 




शायद उसे ज़रूरत हो अब पर्दे की
रौशनियाँ घर की मद्धम कर जाऊँ मैं
- शारिक़ कैफ़ी


तुम्हारी जरूरत शायरी

अपनी उलझन को बढ़ाने की ज़रूरत क्या है 
छोड़ना है तो बहाने की ज़रूरत क्या है 
-नदीम गुल्लानी




बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है
हम ख़फ़ा कब थे मनाने की ज़रूरत क्या है
- शाहिद कबीर




ज़रूरत बे-ज़रूरत बोलती है
जहाँ दौलत हो दौलत बोलती है
- माजिद अली काविश


zaroorat shayari two line


ये ज़रूरत है तो फिर इस को ज़रूरत से न देख
अपनी चाहत को किसी और की चाहत से न देख
- शाहिद कमाल




ग़ैर को दर्द सुनाने की ज़रूरत क्या है
अपने झगड़े में ज़माने की ज़रूरत क्या है
- अज्ञात




ख़ुद चराग़ों को अंधेरों की ज़रूरत है बहुत
रौशनी हो तो उन्हें लोग बुझाने लग जाएँ
- शबाना यूसुफ़




अम्न हर शख़्स की ज़रूरत है
इस लिए अम्न से मोहब्बत है
- अज्ञात


tumhari zarurat shayari  ज़रूरत शायरी 2 लाइन्स


हर इक फ़साना ज़रूरत से कुछ ज़ियादा है
ग़म-ए-ज़माना ज़रूरत से कुछ ज़ियादा है
- अरशद लतीफ़



अब तो ख़ुद अपनी ज़रूरत भी नहीं है हम को
वो भी दिन थे कि कभी तेरी ज़रूरत हम थे
- ऐतबार साजिद




Meri zarurat shayari मेरी जरूरत शायरी zaroorat shayari two line jarurat shayari in hindi zarurat shayari images   जरूरत शायरी इन हिंदी  





मुफ़्लिस के बदन को भी है चादर की ज़रूरत
अब खुल के मज़ारों पे ये एलान किया जाए
- क़तील शिफ़ाई




ज़रूरत ढल गई रिश्ते में वर्ना
यहाँ कोई किसी का अपना कब है
- अता आबिदी


जरूरत शायरी इन हिंदी  


अगर इतनी मुक़द्दम थी ज़रूरत रौशनी की
तो फिर साए से अपने प्यार करना चाहिए था
- यासमीन हमीद





मिलते जुलते हैं यहाँ लोग ज़रूरत के लिए
हम तिरे शहर में आए हैं मोहब्बत के लिए
- अज़हर नवाज़


zarurat shayari images




न चारागर की ज़रूरत न कुछ दवा की है
दुआ को हाथ उठाओ कि ग़म की रात कटे
- राजेन्द्र कृष्ण





यह भी पढ़िए:  Haal E Dil Aur Dard E Dil Shayari 2 Line Collection

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं. ...

आज के टॉप 4 शेर (friday feeling best 4 sher collection)

आज के टॉप 4 शेर ऐ हिंदूओ मुसलमां आपस में इन दिनों तुम नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ - लाल चन्द फ़लक मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा - अल्लामा इक़बाल उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे - जिगर मुरादाबादी हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी - अहमद फ़राज़ साहिर लुधियानवी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कैफ़ी आज़मी इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद बशीर बद्र दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों वसीम बरेलवी आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी मीर तक़ी मीर बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो - मीर तक़ी...

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे...