Poetry Betiyon Ke Liye Anjuri Bhar Bhaw बेटियों के लिए अंजुरी - भरभाव
निशानिशान्त दिल्ली
तुम चांद - सितारों - सी
नदियों की धाराओं - सी
तुम सदा किनारों - सी
सागर जैसी हो तुम
सागर से भी गहरी
चंचल हो लहरों - सी
सावन की उमंगों - सी
फागुन की तरंगों - सी
तुम हो तो जीवन है
जीवन में बहारों - सी ।
सूरज की किरणों - सी
अनमोल हो मणियों - सी
अहसास हो आठों पहर
पगडंडी - सी डगर - डगर
दीया हो जगर - मगर
शीतलता हो राहों की
दुनिया का सुखद सफर ।
तुम तुलसी के बिरवे - सी
पीपल के पेड़ - सी
हो धरती पे चमन - सी
हो पूजा के नमन - सी हो ।