परवीन शाकिर Ki Shayari
मैं सच कहूंगी मगर फिर भी हार जाऊंगी
वो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी
इंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
Parveen Shakir Ki Shayari hindi
कैसे कह दूं कि मुझे छोड़ दिया है उस ने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की
अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई
परवीन शाकिर की शायरी
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा
क्या ख़बर थी कि रग-ए-जां में उतर जाएगा
वो मुझ को छोड़ के जिस आदमी के पास गया
बराबरी का भी होता तो सब्र आ जाता
Parveen Shakir Ki Shayari urdu
यूं बिछड़ना भी बहुत आसां न था उस से मगर
जाते जाते उस का वो मुड़ कर दोबारा देखना
कांप उठती हूँ मैं ये सोच के तन्हाई में
मेरे चेहरे पे तिरा नाम न पढ़ ले कोई
परवीन शाकिर की शायरी वीडियो
उस के यूं तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोई
जी नहीं ये मानता वो बेवफ़ा पहले से था
हाथ मेरे भूल बैठे दस्तकें देने का फ़न
बंद मुझ पर जब से उस के घर का दरवाज़ा हुआ
Parveen Shakir Ke Sher
Urdu Shayar
उस बुत की बंदगी से न आजाद हो हसन
यह बात भी कहीं न खुदा को बुरी लगे
-मीर हसन देहलवी
अवतार बन कर गिरते हैं परियों के झुंड पर...
यह जो महंत बैठे है राधा के कुंड पर
अवतार बन कर गिरते हैं परियों के झुंड पर
-सैय्यद इंशा अल्ला खां इंशा
बुतखाना तोड़ डालिए, मस्जिद को ढाइए
दिल को न तोड़िए, ये खुदा का मुकाम है
-ख्वाजा हैदर अली आतिश
कि हवा हाथ में जंजीर लिए फिरती है...
पहना जो मैंने जामा-ए-दीवानगी तो इश्क
बोला कि ये बदन पे तिरे सज गया विश्वास
-मुसहफी
कोई इस फस्ल में दीवाना हुआ है शायद
कि हवा हाथ में जंजीर लिए फिरती है
-तालिब अली खां 'ऐशी'
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं...
कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीरे-नीमकश को
ये खालिश कहां से होती जो जिगर के पार होता
-मिर्जा असदुल्लाह खां गालिब
इस सादगी पे कौन न मर जाए ये खुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
-मिर्जा असदुल्लाह खां गालिब
जादू भरा हुआ है तुम्हारी निगाह में...
है दोस्ती तो जानिबे-दुश्मन न देखना
जादू भरा हुआ है तुम्हारी निगाह में
-हकीम मोमिन खां मोमिन
तुम भूल कर भी याद नहीं करते हो कभी
हमने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया
-जौक
मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएंगे...
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएंगे
मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएंगे
-जौक
रात किस को गले हमने लगाया था जफर
पैरहन जो इत्र की खुश्बू में है डूबा हुआ
-बहादुर शाह जफर