'दूब' पर कहे शायरों |
Alphabets of Poets Say on Grass 'दूब' पर कहे शायरों की शायरी Grass पर शायरी Grass par shayari, Shayari, doob par shayari Hindi
हरे शजर न सही ख़ुश्क घास रहने दो
ज़मीं के जिस्म पे कोई लिबास रहने दो
- गुलशन खन्ना
दश्त में घास का मंज़र भी मुझे चाहिए है
सर छुपाने के लिए घर भी मुझे चाहिए है
- सुलेमान ख़ुमार
शबनम भीगी घास पे चलना कितना अच्छा लगता है
पाँव तले जो मोती बिखरें झिलमिल रस्ता लगता है
- प्रकाश फ़िक्री
अब के बरसात कुछ तो रास आई
घास उगने लगी मुंडेरों पर
- रईस अमरोहवी
अब तो अपना पेट पूरा भर गया
घास अपने हिस्से की हम चर चले
- समीना रहमत मनाल
लॉन से फूल पतियाँ ओझल
तेरी यादों की नर्म घास कहाँ
- रमेश कँवल
रफ़्तगाँ का निशाँ नहीं मिलता
इक रही है ज़मीन घास बहुत
- नासिर काज़मी
रात यूँ घास की ख़ुश्बू लिपटी
नींद ही आई न घर याद आया
- वली आलम शाहीन
इस उम्मीद में घास पे लेटा हूँ
कोई सितारा देगा तेरी ख़बर
- हसन शाहनवाज़ ज़ैदी
आओ घास पे सभा जमाएँ
मय-ख़ाना तो बंद पड़ा है
- नासिर काज़मी