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Valentine Day Weekend Special Poetry by Kumar Vishwas

Valentine Day Week Special Poetry by Kumar Vishwas


कुमार विश्वास द्वारा कही वा लिखी गई प्रेमी और उसकी प्रेमकाओ के उपर कविता स्पेशल वैलेंटाइंस डे वीक



मेरे पहले प्यार

ओ प्रीत भरे संगीत भरे!
ओ मेरे पहले प्यार!
मुझे तू याद न आया कर
ओ शक्ति भरे अनुरक्ति भरे!
नस-नस के पहले ज्वार!
मुझे तू याद न आया कर।

पावस की प्रथम फुहारों से
जिसने मुझको कुछ बोल दिये
मेरे आंसू मुस्कानों की
कीमत पर जिसने तोल दिये

जिसने अहसास दिया मुझको
मैं अम्बर तक उठ सकता हूं
जिसने खुद को बांधा लेकिन
मेरे सब बंधन खोल दिये

ओ अनजाने आकर्षण से!
ओ पावन मधुर समर्पण से!
मेरे गीतों के सार
मुझे तू याद न आया कर।

मैं तुम्हें ढूंढ़ने


मैं तुम्हें ढूंढ़ने स्वर्ग के द्वार तक
रोज आता रहा, रोज जाता रहा
तुम ग़ज़ल बन गई, गीत में ढल गई
मंच से में तुम्हें गुनगुनाता रहा

जिन्दगी के सभी रास्ते एक थे
सबकी मंजिल तुम्हारे चयन तक गई
अप्रकाशित रहे पीर के उपनिषद्
मन की गोपन कथाएं नयन तक रहीं
प्राण के पृष्ठ पर गीत की अल्पना
तुम मिटाती रही मैं बनाता रहा
तुम ग़ज़ल बन गई, गीत में ढल गई
मंच से में तुम्हें गुनगुनाता रहा

एक खामोश हलचल बनी जिन्दगी
गहरा ठहरा जल बनी जिन्दगी
तुम बिना जैसे महलों में बीता हुआ
उर्मिला का कोई पल बनी जिन्दगी
दृष्टि आकाश में आस का एक दिया
तुम बुझती रही, मैं जलाता रहा
तुम ग़ज़ल बन गई, गीत में ढल गई
मंच से में तुम्हें गुनगुनाता रहा


आना तुम

आना तुम मेरे घर
अधरों पर हास लिये
तन-मन की धरती पर
झर-झर-झर-झर-झरना
सांसों में प्रश्नों का आकुल आकाश लिये

तुमको पथ में कुछ मर्यादाएं रोकेंगी
जानी-अनजानी सौ बाधाएं रोकेंगी
लेकिन तुम चन्दन सी, सुरभित कस्तूरी सी
पावस की रिमझिम सी, मादक मजबूरी सी
सारी बाधाएं तज, बल खाती नदिया बन



मेरे तट आना
एक भीगा उल्लास लिये
आना तुम मेरे घर
अधरों पर हास लिये
मैं तुम्हे अधिकार दूंगा
मैं तुम्हें अधिकार दूंगा
एक अनसूंघे सुमन की गन्ध सा
मैं अपरिमित प्यार दूंगा



मैं तुम्हें अधिकार दूंगा





मैं तुम्हें अधिकार दूंगा
 एक अनसूंघे सुमन की गन्ध सा 
मैं अपरिमित प्यार दूंगा
 मैं तुम्हें अधिकार दूंगा



सत्य मेरे जानने का
गीत अपने मानने का
कुछ सजल भ्रम पालने का
मैं सबल आधार दूंगा
मैं तुम्हें अधिकार दूंगा 

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