सफ़र में सोचते रहते हैं छांव आए कहीं
ये धूप सारा समुंदर ही पी न जाए कहीं
- मोहम्मद अल्वी
Chhanv sher छांव पर शेर
ये धूप सारा समुंदर ही पी न जाए कहीं
- मोहम्मद अल्वी
Chhanv sher छांव पर शेर
मैं कि ख़ुद्दार था ठहरा न किसी छाँव तले
गो कि रस्ते में मिले थे कई अश्जार घने
- अहसन रिज़वी
ख़्वाबों की छाँव में जो था अपना आशियाना
सूरज जला चुका है ख़्वाबों का शामियाना
- यूसुफ़ बिन मोहम्मद
chhanv shayari छांव शेर
बचपन तमाम गुज़रा है तारों की छाँव में
तितली के पीछे जाती थी बादल के गाँव में
- अनीता सोनी
दूर सहरा की कड़ी धूप में छाँव जैसा
वो तो लगता था मुझे मेरी दुआओं जैसा
- अवैसुल हसन खान
अब तक अपने हाथ न आया सुरमई छाँव का दामन भी
चाँदी जैसी धूप में जलते एक ज़माना बीत गया
- फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
channv par sher छांव पर शायरी
छाँव छाँव पुकारता जाए
कौन करने लगा सफ़र मुझ में
- जीम जाज़िल
ये सोच कर कि दरख़्तों में छाँव होती है
यहाँ बबूल के साए में आ के बैठ गए
- दुष्यंत कुमार
यादों के दरख़्तों की हसीं छाँव में जैसे
आता है कोई शख़्स बहुत दूर से चल के
- ख़ुर्शीद अहमद जामी
chhanv par shayari छांव उर्दू शायरी
पेड़ के नीचे ज़रा सी छाँव जो उस को मिली
सो गया मज़दूर तन पर बोरिया ओढ़े हुए
- शारिब मौरान्वी