सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Social Stori in Hindi Scam in Veil घूंघट में घोटाला : रामसागर की शादी अनीता से क्यों हुई | हिंदी शायरी एच

 

Social Stori in Hindi Scam in Veil घूंघट में घोटाला : रामसागर की शादी अनीता से क्यों हुई
society stories in hindi

Social Stori in Hindi Scam in Veil घूंघट में घोटाला : रामसागर की शादी अनीता से क्यों हुई ?रामसागर ने बमुश्किल नजरें उठायीं. लड़की के सिर पर गुलाबी पल्ला था. आधा चेहरा ही रामसागर को नजर आया. चांद सा. बिल्कुल गोरा-गोरा. रामसागर ने धीरे से गर्दन हिला कर अपनी रजामंदी जाहिर कर दी.

नसीम अंसारी कोचर 





रामसागर बड़ा खुश था. उसका दिल बल्लियों उछल रहा था. बात खुशी की ही थी, उसकी शादी जो तय हो गयी थी. आखिरकार इतनी दुआओं और मन्नतों के बाद जीवन में यह शुभ अवसर आया था. वरना उसने तो अब शादी के विषय में सोचना ही छोड़ दिया था. मां-बाप जल्दी गुजर गये थे. रामसागर घर में सबसे बड़ा था. उसके बाद दो बहनें और दो भाई थे, जिनकी पूरी जिम्मेदारी उस अकेले के कंधे पर थी. थोड़ी खेतीबाड़ी थी और एक किराने की दुकान भी. अट्ठारह बरस की उम्र रही होगी जब मां-बाप साथ छोड़ गये. रामसागर ने बड़ी मेहनत की. चारों भाई-बहनों की देखभाल और उनकी शादी-ब्याह की जिम्मेदारी उसने मां-बाप बन कर उठाये. अब उसकी बयालीस बरस की उम्र हो आयी थी. इस उम्र के उसके दोस्त अपने बच्चों की शादी की चिन्ता में मग्न थे और वो अभी तक छुट्टे बैल की तरह घूम रहा था…! छोटे भाई-बहनों की नय्या पार लगाते-लगाते कब रामसागर के बालों में सफेदी झलकने लगी थी, उसे पता ही नहीं चला. सबका घर बसाने के चक्कर में उसका अपना घर अब तक नहीं बस पाया था.


चलो देर आये दुरुस्त आये. रिश्ते की बुआ ने आखिरकार उसकी सगाई तय करा ही दी. उसका मन बुआ को दुआएं देते नहीं थक रहा था. लड़की पास के गांव की थी. छह बहनों में तीसरे नंबर की. रामसागर अपनी बुआ के साथ लड़की देखने पहुंचा तो शर्म के मारे गर्दन ही नहीं उठ रही थी. लड़की चाय की ट्रे लिए सामने खड़ी थी. रामसागर नजरें नीचे किए बस उसके कोमल पैरों को निहार रहा था. गोरे-गोरे पैर पतली पट्टी की सस्ती सी सैंडिल में चमक रहे थे. नाखूनों पर लाल रंग की नेलपौलिश चढ़ी थी. रामसागर तो उसके पैरों को देखकर ही रीझ गया. बुआ ने कोहनी मारी, ‘जरा नजर उठा कर निहार ले… बाद में न कहना कि कैसी लड़की से ब्याह करवा दिया.’



 

रामसागर ने बमुश्किल नजरें उठायीं. लड़की के सिर पर गुलाबी पल्ला था. आधा चेहरा ही रामसागर को नजर आया. चांद सा. बिल्कुल गोरा-गोरा. रामसागर ने धीरे से गर्दन हिला कर अपनी रजामंदी जाहिर कर दी. शादी की तारीख महीने भर बाद की तय हुई थी. रामसागर घर की एक-एक चीज साफ करने में जुटा था. घर में उसके सिवा कोई था ही कहां, जो सब संवारे-बुहारे. सब उसे ही करना था. बहनें ब्याह कर अपने घरों की हो गई थीं. दोनों भाई रोजगार के चक्कर में दिल्ली गये तो वहीं के होकर रह गये. एक-एक करके अपनी पत्नियों और बच्चों को भी ले गये कि वहां बच्चों की अच्छी परवरिश और पढ़ाई हो सकेगी. पीछे रह गया रामसागर. अकेला.


ये भी पढ़ें- Shakhs Best Shayari Collection


एक महीने में रामसागर ने घर का कायाकल्प कर डाला. अपनी पत्नी के स्वागत में वह जो कुछ भी कर सकता था उसने किया. आखिरकार शादी का दिन भी आ पहुंचा. घोड़ी पर सवार रामसागर कुछ दोस्तों और रिश्तेदारों से घिरा गाजे-बाजे के साथ धड़कते दिल से अपनी होने वाली ससुराल पहुंचा. लड़की वालों ने स्वागत-सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ी. जयमाल, फेरे सब हो गये. रामसागर बस एक नजर अपनी पत्नी के चेहरे को देख लेना चाहता था. मगर चांद पर लंबा घूंघट पड़ा था. आगे पीछे उसकी बहनें, सहेलियां और रिश्ते की बहुएं. सुबह विदाई के वक्त भी लंबा सा घूंघट. विदा की बेला आ गयी. रामसागर घूंघट में जार-जार रोती अपनी दुल्हन को लेकर अपने गांव पहुंच गया. सारा दिन रीति रिवाज निभाते बीत गये. दुल्हन भीतर कमरे में औरतों के बीच दुबकी बैठी रही और वह बाहर मर्दों में. आखिरकार सुहागरात की बेला आ गयी. औरतों ने आकर रामसागर को पुकारा और धक्का देकर कमरे के भीतर धकेल दिया.


चांद पर अब भी घूंघट पड़ा था. रामसागर झिझकते हुए पलंग पर बैठा तो उसका चांद और ज्यादा सिमट गया. काफी देर खामोशी छाई रही. आखिर हिम्मत जुटा कर रामसागर ने घूंघट के पट खोले तो जैसे उसको सांप सूंघ गया. घूंघट का चांद वो चांद नहीं था जो उस दिन नजर आया था. ये तो कुछ फीका-फीका सा था.  बेसाख्ता उसके मुख से निकला, ‘तुम कौन हो?’ वह धीरे से बोली, ‘अनीता’. रामसागर ने कहा, ‘मगर मेरी शादी तो सुनीता से तय हुई थी.’



अनीता ने गर्दन झुका ली. तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. सकते में डूबे रामसागर ने उठ कर दरवाजा खोला तो सामने बुआ खड़ी थी. वह झपट कर अंदर आयीं और दरवाजा बंद करके पलंग पर बैठ गयीं. रामसागर हैरानी से उनकी ओर देख रहा था. कुछ पूछना ही चाहता था कि बुआ बोल पड़ी, ‘रामसागर ये अनीता है. सुनीता की बड़ी बहन. तेरी शादी सुनीता से तय हुई थी, मगर वह किसी और से प्रेम करती थी. उसके साथ भाग गयी. वह उम्र में भी तुझसे काफी छोटी थी. चंचल थी. तू उसे संभाल नहीं पाता. इसके पिता तो बड़े दुखी थे. मुझे बुला कर सब सच-सच बता दिये थे. माफी मांगते थे. मिन्नतें करते थे. फिर मैंने तेरे लिए अनीता को पसन्द कर लिया. सब विधि का विधान है. यह भी शायद तेरे लिए ही अब तक कुंवारी बैठी थी. छोटी बहनों की शादियां पहले हो गयीं. देख रामसागर, अनीता रूप में भले सुनीता से थोड़ी दबी हो, मगर गुणों की खान है. अपना पूरा घर इसी ने अकेले संभाल रखा था. इसको अपना ले. तेरा ब्याह इसी के साथ हुआ है. अब यही तेरी पत्नी है.’ बुआ रामसागर पर दबाव बनाते हुए बोली.


ये भी पढ़ें- Beauty Queen - How Did Ayesha's Life Change

रामसागर सिर पकड़े नीचे बैठ गया. बुआ और अनीता एकटक उसका चेहरा देख रही थीं कि पता नहीं इस खुलासे का क्या अंजाम सामने आये. चंद सेकेंड बाद रामसागर ने सिर उठाया और बोला, ‘बुआ, घूंघट में घोटाला हो गया… मगर कोई बात नहीं… नुकसान ज्यादा न हुआ.’


बुआ हंस पड़ी, साथ में रामसागर भी ठठा पड़ा और चांद के चेहरे पर भी मुस्कुराहट तैर गयी.





इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं. ...

आज के टॉप 4 शेर (friday feeling best 4 sher collection)

आज के टॉप 4 शेर ऐ हिंदूओ मुसलमां आपस में इन दिनों तुम नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ - लाल चन्द फ़लक मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा - अल्लामा इक़बाल उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे - जिगर मुरादाबादी हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी - अहमद फ़राज़ साहिर लुधियानवी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कैफ़ी आज़मी इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद बशीर बद्र दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों वसीम बरेलवी आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी मीर तक़ी मीर बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो - मीर तक़ी...

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे...