Famous Shayari Collection On Charagh 'चराग़' जलाने पर क्या कहते हैं शायर, किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
'चराग़' जलाने पर क्या कहते हैं शायर, किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा किसी चराग़ |
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
- वसीम बरेलवी
आख़िरी साँस ले रही थी रात
जब चराग़ आफ़्ताब से हारा
- संदीप शजर
शहर के अंधेरे को इक चराग़ काफ़ी है
सौ चराग़ जलते हैं इक चराग़ जलने से
- एहतिशाम अख्तर
अब चराग़ों में ज़िंदगी कम है
दिल जलाओ कि रौशनी कम है
- अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद
रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है
- वसीम बरेलवी
उल्फ़त का है मज़ा कि 'असर' ग़म भी साथ हों
तारीकियाँ भी साथ रहें रौशनी के साथ
- असर अकबराबादी
अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा है
मगर चराग़ ने लौ को संभाल रक्खा है
- अहमद फ़राज़
वो दिन नहीं किरन से किरन में लगे जो आग
वो शब कहाँ चराग़ से जलते थे जब चराग़
- शकेब जलाली
इक चाँद तीरगी में समर रौशनी का था
फिर भेद खुल गया वो भँवर रौशनी का था
- मयंक अवस्थी
घुटन तो दिल की रही क़स्र-ए-मरमरीं में भी
न रौशनी से हुआ कुछ न कुछ हवा से हुआ
- ख़ालिद हसन क़ादिरी
नई सहर के हसीन सूरज तुझे ग़रीबों से वास्ता क्या
जहाँ उजाला है सीम-ओ-ज़र का वहीं तिरी रौशनी मिलेगी
- अबुल मुजाहिद ज़ाहिद