यमदूतों का संकट
मलोक के जिस यमदूत की तैनाती यमराज ने दिल्ली स्थित यमदूतावास में राजदूत के रूप में कर रखी य थी , वह दिल्ली की हवा जहरीली होने पर बहुत चिंतित हुआ ।
उसने यमदूतावास को बंद करने हेतु चित्रगुप्त को मेल किया कि यहां की हवा बहुत जहरीली हो गई है । अतः जब तक हवा का जहर खत्म नहीं होता , तब तक दूतावास बंद कर दिया जाए ।
चित्रगुप्त यमदूतावास से आई आपातकालीन मेल पढ़ चिंता में पड़ गए । वे सोचने लगे , ऐसे में तो दूतावास की वहां सख्त जरूरत है । उन्होंने अविलंब अपने पीए से मेल का प्रिंट निकलवाया और आगामी कार्यवाही के लिए यमराज को भेज दिया ।
यमराज ने दिल्ली स्थित अपने हेड यमदूत से संपर्क कर पूछा कि ये क्या है ? तुम आने की बात क्यों कर रहे हो ? वह ... बोला- " सर माफ कीजिएगा ! मैं नौकरी छोड़ सकता हूं , पर अब दिल्ली में और नहीं रह सकता । मुझे यहां रखना ही है तो प्लीज मेरे बीवी बच्चों की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लीजिए ।
" यमराज ने पूछा , “ ऐसी क्या बात है ? किसी नेता ने तुम्हें डराया धमकाया है क्या ? " यमदूत गिड़गिड़ाया , " नहीं सर ! ऐसा कुछ नहीं । वे तो चुनाव नजदीक आने पर खुद ही डरे हुए हैं । यहां की हवा इतनी जहरीली हो गई है कि आम आदमी तो आम आदमी , खास आदमियों तक का सांस लेना मुश्किल हो रहा है ऐसे में मैं यहां और नहीं रह सकता । " यमराज ने कहा , " जहरीली हवा तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती ।
ऐसे में जब वहां की सरकार को हमारे यमदूतावास की सख्त जरूरत है तो हम उसे भला कैसे बंद कर सकते हैं ? राजनीतिक संबंध भी कोई चीज होते हैं कि नहीं ? बुरे वक्त में जो हमने वहां का अपना दूतावास बंद कर दिया तो जहरीली हवा में जीने को विवश होने के बाद भी मरे जीवों की आत्माओं का वहां दम नहीं घुटेगा क्या ?
आखिर ये हवा जहरीली कैसे हो गई ? " यमदूत ने व्याख्या की , " सर ! ये हवा किसानों की पराली से उतनी दूषित नहीं हो रही , जितनी राजनीतिक पराली जलाने से हो रही है ? " मामले की गंभीरता को देखते हुए यमराज ने कहा , “ जब तक ये जहर सहने लायक नहीं हो जाता , तब तक तुम वर्क फ्रॉम होम करो ?
यमदूतों का संकट