हिंदी कविता जिंदगी
जिंदगी ! मैं तुमसे
वादा करती हूं
पहले से ज्यादा
तुमसे प्रेम करने का
मैं वादा करती हूं
अपने जीवन से गमों के
खरपतवार निकालने का
थोड़ा और खिलने का
थोड़ा और बढ़ने का
इस बार वक्त के थपेड़ों से
नहीं घबराऊंगी
इस बार ठोकर लगी तो
फौरन संभल जाऊंगी
इस बार शोक के गीत मुझे
विचलित न कर सकेंगे
इस बार कांटों की टीस मुझे
भयभीत न कर सकेंगे
इस बार मैं उटूंगी
समस्त ज्वालाओं के विरुद्ध
और करूंगी आह्लाद
का अमृतपान
इस बार मैं वचन
देती हूं जिंदगी ।
तुम्हें बेहतर समझने का
तुम्हें रुदन से निकालने का
तुम्हारा अभिनंदन करने का ।