टी सीरीज ने बनाई बिना कत्ल की मर्डर मिस्ट्री
रेटिंग. ★★★☆☆
MOVIE REVIEW: हिट Hit द फर्स्ट केस
कलाकार : राजकुमार राव , सान्या मल्होत्रा , जतिन गोस्वामी , अखिल अय्यर , मिलिंद गुणाजी , शिल्पा शुक्ला , दलीप ताहिल , संजय नार्वेकर आदि ।
निर्देशक : शैलेश कोलानू
हिट' टी सीरीज ने बनाई बिना कत्ल की मर्डर मिस्ट्री |
हिट' टी सीरीज ने बनाई बिना कत्ल की मर्डर मिस्ट्री
दो साल पहले तेलुगु में रिलीज हुई फिल्म ' हिट द फर्स्ट केस की हिंदी रीमेक की कहानी में लेखक - निर्देशक शैलेश कोलानू ने फेरबदल किया है । कहानी इस बार तेलंगाना से निकलकर राजस्थान आई है । निर्देशक को लगता है कि शायद फिल्म का वातावरण देखकर दर्शक घटनाओं की भौगोलिक स्थिति समझ न पाएं तो किरदारों से मारवाड़ी संवाद भी बुलवा लिए हैं । कहानी वही है इसकी ओरीजनल जैसी मानसिक आघात से गुजर रहे पुलिस अफसर विक्रम की एक महिला मित्र एकाएक लापता हो जाती है । एक किशोरी पहले से गायब है । दोनों हादसों के तार जुड़ते दिखते हैं और सस्पेंस ड्रामा का एक अच्छा आधार तैयार करने में शैलेश कामयाब रहते हैं । शैलेश कोलानू का दावा रहा है कि हिंदी मिक में उन्होंने तेलुगु की गड़बड़ियों को दूर किया है , लेकिन फिल्म देखकर ऐसा लगता नहीं है ।
नेटफ्लिक्स वाले फिल्म खरीद लें इसके चक्कर में उन्होंने फिल्म के क्लाइमेक्स का कबाड़ा कर दिया है । जो फिल्म मर्डर मिस्ट्री होनी चाहिए थी , उसमें कत्ल तो किसी का होता ही नहीं है और फिल्म ' हिट द फर्स्ट केस ' यहीं आकर बैठ जाती है । मूल फिल्म में जो चौंकाने वाला कातिल है , वह यहां पूछताछ में ही सामने आ जाता है । हादसे में हुई एक मौत को एक पुलिस अफसर क्यों छिपाना चाहेगा ? इसका स्पष्टीकरण भी फिल्म का हिंदी संस्करण सलीके से पेश नहीं कर पाता है । मूल तेलुगु फिल्म की सीक्वेल भी अगले हफ्ते रिलीज होने को है और जहां फिल्म ' हिट द फर्स्ट केस ' की हिंदी रीमेक खत्म होती है , वहां भी इसके सीक्वेल की गुंजाइश छोड़ी गई है ।
राजकुमार राव के नाम पर लोग अब भी फिल्में देखने सिनेमाघरों में आने को तैयार हैं । उनकी फिल्म ' रूही ' की ओपनिंग इसका सबूत रही है । इतने समझदार कलाकार को कॅरिअर के सबसे नाजुक मोड़ पर सचेत होने की जरूरत है । जतिन गोस्वाम और मिलिंद गुणाजी को छोड़ दें तो बाकी सहायक कलाकार फिल्म को खास सहारा देते नहीं दिखते । टी सीरीज की फिल्म होने के बावजूद फिल्म ' हिट द फर्स्ट केस ' के संगीत पर खास मेहनत नहीं दिखती है भूषण कुमार को इस मामले में अपने पिता गुलशन कुमार के दौर की फिल्मों का संगीत फिर से सुनना चाहिए । रीमिक्स करने के लिए नहीं , बल्कि यह समझने के लिए कि हिंदीभाषी क्षेत्रों के दर्शक और श्रोता जो श्रोता जो मधुर संगीत सुनते आए हैं , उसे बनाने में वह कहां चूक रहे हैं ।