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Latest Hindi Poetry Barso Re Barso Badra बरसो रे बरसो बदरा हिंदी शायरी एच

 बरसो रे बरसो बदरा 



उमसी हुई अब शामें बीती , 
आए कजरारे - कजरारे बादर 
हवा के झूलों पर झूला झूलें
 तान के दिनकर पर चादर



थोड़ा - थोड़ा भीग गया 
गर्मी से अकुलाया मन 
गुमसुम गुमसुम जीवन था
 प्राणी जगत शीतल तन - मन




 भानु जग में आग उगलता 
तेवर उसके है मध्यम 
बादर ने जो ली है अंगड़ाई
 निकला दिनकर का दमखम




 गौरैया कल धूल लोटी थी 
शुभ सुखद संदेशा लाई थी । 
धरती पर बरसेगा मोती 
भूमि लोट - लोट बतलाई थी



दादुर अब कर रहे तैयारी
 रात भर स्वागत गान गाएंगे ।
 कब से कर रहे प्रतीक्षा देखो ,
 अब टर - टरा करके बताएंगे । 




धरती पर गिरती है बूंदे 
सौंधी - सौंधी महक उठ आई
 झमाझम बरसो रे बदरा 
छम - छम नृत्य ऋतु आई ।


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