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Hindi Kahani Aham Ko Thes | अहम को ठेस कहानी हिंदी - Hindi Shayari H

"हां, तुम्हारे अहम को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए, क्यों अंकित?” अंकिता ने कहा। अंकित अपना-सा मुंह लेकर रह गया। अहम को ठेस

अहम को ठेस
अहम को ठेस


मधु गोयल गाजियाबाद




अक्सर जब अंकित बिजी होता तो उसकी

 फोन कॉल अर्पिता ही रिसीव करती और

बताती कि अंकित अभी बिजी हैं, आपको

बाद में कॉल कर लेंगे। इतना कहकर कॉल काट देती,

लेकिन काटने के बाद कॉल किसी और नंबर पर

मिल जाती। अर्पिता ने इस बाबत अंकित को बताया

भी, लेकिन अंकित उसकी


अहम को ठेस कहानी हिंदी

बात पर ध्यान न देकर लैपटॉप में बिजी रहता । आज भी अर्पिता यह बता ही रही थी कि तभी पलटकर कॉल आई। कॉल को अंकित ने रिसीव किया। दूसरी तरफ से एक सज्जन बोले, “आपने कॉल किया, बताइए ?"


अंकित ने अर्पिता की शक्ल देखी, फिर कहा, "वो गलती से हाथ लग गया होगा”, और कॉल काट कर अर्पिता से बोला, “क्या तुमने फोन ठीक से नहीं काटा था? देखो कहीं और लग गया।" “अरे, मैंने तो फोन डिस्कनेक्ट कर दिया था। वही तो
मैं तुम्हें बता रही थी, लेकिन तुम हो कि मेरी बात पर ध्यान ही नहीं देते।"


अहम को ठेस कहानी इन हिंदी 

अंकित ने कहा, "पता नहीं कैसा है तुम्हारा डिस्कनेक्ट करना? देखो, तुम्हारी कॉल कहीं और लग गई।"

"अरे, लाल बटन तो दबा दिया था। पता नहीं, कहीं और कैसे लग जाता है? मैं क्या करूं, तुम्हारे फोन में ही कोई खराबी होगी? ऐसा कई बार से हो रहा है, मैंने बार-बार तुम्हें बताया भी, लेकिन मेरी बात पर गौर किया जाए तब न । तुम्हारा तो वो हाल है अंकित, चित भी मेरी पट भी मेरी।"

अर्पिता को समझ नहीं आया कि उसके फोन काटने के बाद फिर कॉल इधर-उधर क्यों लग जाती है। उस पर अंकित भी कहने में कोई कसर नहीं छोड़ता, "अगर ठीक से नहीं दिखता तो चश्मा लगा लिया करो।"

अहम को ठेस कहानी  

"अरे वाह, इतनी भी आंखें खराब नहीं हुई हैं, जो लाल रंग ही नजर न आए। देखकर ही फोन काटा जाता है। अगर ऐसा है तो आगे से मैं तुम्हारी फोन कॉल रिसीव नहीं करूंगी, अपनी कॉल तुम खुद ही रिसीव करना । तुम जानो और तुम्हारा काम।" इतना कहकर अर्पिता बड़बड़ाती हुई वहां से जा ही रही थी कि एक कॉल आई। अंकिता वहीं रुक गई। अंकित ने ही फोन रिसीव किया। कुछ देर बात करने के बाद अंकित ने फोन काट दिया। तुरंत बाद फिर एक कॉल आई, "हां जी, आपकी कॉल थी। बताइए?"

अंकित सन्न! बोला, “मैंने तो आपको फोन नहीं किया। अगर आपके पास कॉल आई है तो हो सकता है कि गलती से हाथ लग गया होगा।"

अहम को ठेस कहानी 

अर्पिता वहीं खड़ी देख-सुन रही थी और अंकित 'आंखें चार होते ही' गर्दन इधर-उधर घुमाने लगा। मौका सही था। अर्पिता कहे बिना न रह सकी, “पता चला जनाब, आपने तो चश्मा लगा रखा था। अब क्या हुआ? आपकी कॉल इधर-उधर कैसे मिल गई? मैं भी तो जानूं!”

अंकित हंसते हुए माथे पर हाथ रख बोला, “अरे यार, यह तो इंसान की फितरत है कि गलती दूसरे की ही लगती है।"

"हां, तुम्हारे अहम को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए, क्यों अंकित?" अंकिता ने कहा। अंकित अपना-सा मुंह लेकर रह गया।

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