Urdu Shayari: 'मोहसिन नक़वी' के चुनिंदा शेर - Mohsin Naqvi Best Selected Shayari Collection - HindiShayariH HSH
काश कोई हम से भी पूछे
रात गए तक क्यूँ जागे हो
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मुमकिन हो तो इक ताज़ा ग़ज़ल और भी कह लूँ
फिर ओढ़ न लें ख़्वाब की चादर तिरी आँखें
ये दर्द की तन्हाइयाँ ये दश्त का वीराँ सफ़र
हम लोग तो उक्ता गए अपनी सुना आवारगी
हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद न कर दे
तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर
अगरचे मैं इक चटान सा आदमी रहा हूँ
मगर तिरे बा'द हौसला है कि जी रहा हूँ
जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ
अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ
तेरे चेहरे की कशिश थी कि पलट कर देखा
वर्ना सूरज तो दोबारा नहीं देखा जाता
पास रह कर भी हमेशा वो बहुत दूर मिला
उस का अंदाज़-ए-तग़ाफ़ुल था ख़ुदाओं जैसा
वो मुझ को टूट के चाहेगा छोड़ जाएगा
मुझे ख़बर थी उसे ये हुनर भी आता है
आप की आँख से गहरा है मिरी रूह का ज़ख़्म
आप क्या सोच सकेंगे मिरी तन्हाई को
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